प्रशांत किशोर और जन सुराज की पराजय
भारतीय लोकतंत्र किसी भी नए राजनीतिक प्रयोग को तुरंत वैधता नहीं देता—विश्वसनीयता लंबे संपर्क व संघर्ष से बनती है।
जन सुराज की हार से साबित हुआ कि चुनाव केवल धन, तकनीक और रणनीति से नहीं, बल्कि सामाजिक तादात्म्य से जीते जाते हैं।…
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