मिर्च-मसाला- रामपुर के आजम की निष्ठाएं किधर हैं?
त्रिदीब रमण
’जब से पागल हवाओं ने हर छोटे-बड़े दीयों का काम तमाम किया है
इस आदम के जंगल ने अपना कल इन जुगनुओं के नाम किया है’
सियासत की सीरत ही कुछ ऐसी है कि यहां असल वफादारी भी नैतिक दीवालियापन के अंतःपुर में बेशर्मी से पसरी…
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