आतंकवाद बनाम सभ्यताएँ: दोहरे मानदंडों के दौर में भारत की स्पष्टता
पूनम शर्मा
दुनिया एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ भ्रम की गुंजाइश लगातार घट रही है। वर्षों तक “राजनीतिक शिष्टाचार” के आवरण में ढकी रही सच्चाइयाँ अब सतह पर आ रही हैं। आतंकवाद को केवल “सुरक्षा समस्या” कहकर टाल देना अब संभव नहीं रहा; यह एक…
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