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एम.एल. नत्थानी

जड़ों से निकलीं हिन्दी…

एम.एल. नत्थानी मातृ भाषा हिन्दी जड़ों से निकलीं रक्त बीज युक्त कोंपलें निकलीं । निज भाषा समृद्ध उत्कृष्ट निर्माण पल्लवित पुष्पित सशक्त संवाद । हिन्दी से संबध मातृ भाषा का जन में व्याप्त अभिलाषा का । गौरवशाली अतीत हिन्दी…
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ज़िन्दगी का स्वांग

*एम.एल. नत्थानी अक्सर खुले गगन में मन उन्मुक्त उड़ना चाहता है बंदिशों की बेड़ियों से दूर फिर विचरना चाहता है । मंजिल सामने खड़ी जैसे ये पैरों में बेड़ियां होती है अधूरी हसरतों के साथ आंखों में लड़ियां होती हैं…
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