Browsing Tag

ओशो

 “रासबिहारी होते हुए भी श्रीकृष्ण ब्रह्मचारी कहलाए, इसका मर्म क्या है?”

रास को समझने के लिए पहली जरूरत तो यह समझना है कि सारा जीवन ही रास है। जैसा मैंने कहा, सारा जीवन विरोधी शक्तियों का सम्मिलन है। और जीवन का सारा सुख विरोधी के मिलन में छिपा है। जीवन का सारा आनंद और रहस्य विरोधी के मिलन में छिपा है।
Read More...

 गुजरना नदी से, लेकिन ध्यान रखना, पानी तुम्हें छूने न पाये…..

झेन फकीर कहते हैं कि गुजरना नदी से, लेकिन ध्यान रखना, पानी तुम्हें छूने न पाये। वे इसी बात की खबर दे रहे हैं कि अगर तुम्हें समझ आ जाये साक्षी की, तो तुम गुजर जाओगे नदी से। पानी शरीर को छुएगा, तुम्हें नहीं छू सकेगा। तुम साक्षी ही बने रहोगे।
Read More...

ओशो विचार- यह समय भी बीत जायेगा!!

एक सम्राट ने अपने स्वर्णकार को बुलाया, सुनार को बुलाया और कहा, मेरे लिए एक सोने का छल्ला बना। और उसमें एक ऐसी पंक्ति लिख दे जो मुझे हर घड़ी में काम आये। दुख हो तो काम आये, सुख हो तो काम आये।
Read More...