आज नरक चतुर्दशी के दिन ही किया था भगवान कृष्ण ने 16000 कन्याओं से विवाह

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दीपावली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इस दिन आयु के देवता यमराज की उपासना की जाती है. नरक चतुर्दशी पर भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था. कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज ही के दिन हनुमान जी का जन्म भी हुआ था. इस बार नरक चतुर्दशी व दीवाली एक ही दिन 14 नवंबर को मनाई जाएगी. सुबह नरक चतुर्दशी होगी तो वहीं दोपहर बाद अमावस्या लगने से इसी दिन दीवाली पूजन होगा।

क्यों होती है भगवान कृष्ण की पूजा
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आपने अक्सर नरकासुर वध की कथा तो सुनी ही होगी. नरकासुर एक राक्षस था जिसका वध भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से किया था. जिस दिन उन्होंने नरकासुर का संहार किया उस दिन नरक चतुर्दशी ही थी. इसीलिए इस दिन कई जगहों पर भगवान कृष्ण की विशेष आराधना की जाती है।

वध के बाद 16 हज़ार कन्याओं से हुआ था विवाह
पुराणों में वर्णन मिलता है कि नरकासुर ने 16 हज़ार कन्याओं को बंधक बनाकर रखा था. और उन्हें ही आज़ाद कराने के लिए भगवान कृष्ण ने सत्यभामा की मदद ली और नरकासुर का संहार कर दिया. लेकिन बाद में उन लड़कियों के माता-पिता ने उन्हें अस्वीकार कर दिया तो नंदलाला ने उन सभी सोलह हज़ार कन्याओं के साथ विवाह किया. और उन्हें समाज में सम्मान दिलवाया. इसीलिए भगवान कृष्ण की 16 हज़ार पत्नियां व 8 मुख्य पटरानियां हैं।

रूप चौदस पर करें यम की पूजा
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वहीं इस दिन सिर्फ कृष्ण की ही नहीं बल्कि यम देवता की पूजा का भी विधान है. यही कारण है कि इस दिन घर के मुख्य आंगन में या बीचों बीच दीपक जलाकर परिवार के सदस्यों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है. इस दिन दीप दान का काफी महत्व होता है।

नरक चतुर्दशी पूजा विधि
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कहते हैं इस दिन यम की पूजा की जाए तो अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है. इसीलिए इस दिन घर के मुख्य द्वार के बांई ओर अनाज की ढेरी रखें. इस पर सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाना चाहिए लेकिन दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर कर दें।

।। जय श्री कृष्ण ।।

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