वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि की पूजा की जाती है। साथ में गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है और उन्हें फल मिठाइयां खिलाई जाती हैं। गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की फोटो बनाई जाती है। इसके बाद उसकी पुष्प, धूप, दीप से उपासना की जाती है।
गोवर्धन पूजा-
—प्रातः काल शरीर पर तेल मलकर स्नान करें
—घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं
—गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाएं, पास में ग्वाल बाल, पेड़ पौधों की आकृति बनाएं
—मध्य में भगवान कृष्ण की मूर्ति रख दें
—इसके बाद भगवन कृष्ण, ग्वाल-बाल और गोवर्धन पर्वत का षोडशोपचार पूजन करें
—पकवान और पंचामृत का भोग लगाएं
—गोवर्धन पूजा की कथा सुनें, प्रसाद वितरण करें और सबके साथ भोजन करें