गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

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गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।
पवन कुमार बंसल।

“ट्रिब्यून अखबार, बंसीलाल, देवीलाल, भजन लाल, रणबीर के लाल भूपिदंर हूडा और मनोहर लाल”

ट्रिब्यून और प्रताप सिंह कैरो।

ट्रिब्यून अखबार का संयुक्त पंजाब और बाद में बने हरियाना के चीफ मिनिस्टर्स से चोली-दामन का सम्बन्ध रहा है। बहुत पहले तो इस छेत्र में पहले अम्बाला और बाद में चंडीगढ़ से प्रकाशित ट्रिब्यून अकेला था। फिर बाद में इंडियन एक्सप्रेस , सहित और अख़बार भी आये लेकिन ट्रिब्यून का दबदबा बना रहा।
शुरआत संयुक्त पंजाब के सी एम् प्रताप सिंह कैरो से।

वर्मा जी ,आप तो आना ही छोड़ गए।
कैरो साहिब बड़े हाजिर जवाब थे। कोई अपरिचित मिलने जाता तो ऐसा प्रभाव देते मानो उसे वर्षो से जानते हो। लेकिन इस बार पासा पलट गया।

हुआ यह की एक बार ट्रिब्यून के संपादक के साथ मेनेजमेंट के वरिष्ठ अधिकारी जनाब वर्मा साहिब भी साथ चले गए। सम्पादक तो पहले मिलते रहते थे लेकिन वर्मा साहिब पहली बार गए थे। जब सम्पादक ने वर्मा साहिब का परिचय करवाना शुरू किया तो बीच में ही कैरो बोले ‘वर्मा साहिब क्या नाराजगी है। आप तो आना ही छोड़ गए।? नहले पर दहला मारते हुए वर्मा साहिब बोले की में तो आप से पहली बार मिल रहा हूँ।

भगवत दयाल शर्मा और राव वीरेंद्र तो थोड़े समय रहे और फिर आये बंसी लाल। हम चर्चा कर चुके उनके ट्रिब्यून के साथ सम्बन्धो की। इमरजेंसी में ट्रिब्यून के हिसार स्टाफर काक साहिब और रोहतक स्टाफर श्याम खोसला ग्रिफ्तार किये गए। काक को तो शेख अब्दुल्ला कश्मीर ले गए लेकिन खोसला अंदर रहे।
अख़बार के प्रबंधन ने भी उनका साथ नहीं दिया।

खोसला आई स्टिल हेट यूँ।
वक्त बदलता रहता है। एमेजेन्सी हटी और देवीलाल चीफ मिनिस्टर बने और उन्होने भिवानी में बंसीलाल को हथकड़ी लगवा दी। श्याम खोसला उनसे मिलने गए और पूछा की क्या हाल है ?हथकड़ी लगे बंसीलाल बोले ‘खोसला आई स्टिल हेट यू’।

फिर आए देवीलाल जो अंग्रेजी की बजाए उर्दू अख़बार हिन्द समाचार ज्यादा पसंद करते थे। भजन लाल बिना वजह कोई पंगा नहीं लेते थे।

रणबीर सिंह के लाल भूपिंदर हूडा भी ट्रिब्यून पे खास मेहरबान थे। वैसे इंडियन एक्सप्रेस के शेखर गुप्ता उनके सहपाठी थे। ट्रिब्यून अखबार के रोहतक रिपोर्टर सुनीत धवन की किसी खबर से एम डी यू रोहतक के तत्कालीन वाइस -चांसलर ,जनाब आर पी हूडा नाराज हो गए। उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में रहते ट्रिब्यून के संपादक दुआ साहिब को सम्मानित किया था सो सुनीत का तबादला गुरुग्राम कर दिया गया

बीच में ओमप्रकाश चौटाला का जिक्र रह गया। मेहम कांड की कवरेज से मीडिया से नाराज होकर उन्होंने जनसंदेश अखबार शुरू करवाया।

मनोहर लाल का तो इतना दबदबा की उन्होंने नवीन ग्रेवाल की खबरों से आहत हो उसका तबादला दूरदराज करवा दिया।

और खरे साहिब को स्वर्ण जयंती समारोह कमेटी का मेंबर बना दिया। फिर उन्हें शिमला में अपनी सरकार के कामकाज की समीक्षा के लिए हो रही एक बैठक में आमंत्रित किया। वहा खरे ने उनका बेंड बजा दिया। बोले वैसे तो मेहमान का फर्ज होता है की मेजबान द्वारा परोसी गई हर रेसपी का गुणगान करे लेकिन मनोहर जी आप चापलूस अफसरों से बचो।

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