गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

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गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

पवन कुमार बंसल।

डी जी पी प्रशांत अग्रवाल जी ,कर्त्यवनिष्ठ और वर्दी के प्रति वफादार पानीपत के थानेदार बलराज यादव के बचाव के लिए आपको उसी तरह स्टैंड लेना चाहिए जैसा रोहतक रेंज के तत्कालीन आई जी ,जॉन , वी जॉर्ज ने दो दशक पहले आपको तत्कालीन चीफ मिनिस्टर ओमप्रकाश चौटाला के दवाब से बचाने के लिए लिया था।
मंत्री और मुख्यमंत्री का क्या ?कुछ भी अनाप -शनाप आदेश दे देंगे।फोर्स के मुखिया होने के नाते उसका सम्मान बनाये रखना आपकी जिम्मेवारी है।
मामला पानीपत के थानेदार बलराज का एम्बुलेंस चलाने के नाम पर पैसे मांगने की झूठी शिकायत पर निलंबन करने का।

याद दिला दे की विज के दरबार में एक फरियादी ने बलराज पर उक्त आरोप लगाया तो विज आग-बबूला हो गए थे। विज पानीपत के एसपी से पूछते है की क्या ऐसा मामला आपके नोटिस में है।? अभी एस पी अपनी बात कह ही रहे थे की विज साहिब ने कहा की में फरियादी को आपके पास भेजता हूँ और आप कार्रवाई करो और में थानेदार का तबादला कर रहा हूँ। फिर अचानक विज साहिब को तरारा आता है और आदेश देते है की डी जी पी को लिखो। फिर बड़बड़ाते है की इसको तो अभी यहाँ से –. फिर बड़बड़ाते हुए कहते है की इसे मुअत्तल करो।
अगर फरियादी के खिलाफ दर्ज मुकदमो का और बलराज की उपलब्धियों की चर्चा करे तो आप समझ जायेंगे के कितनी ज्यादती हो गयी है।
अब दो दशक पुराने मामले की।
—- अग्रवाल साहिब रोहतक के एस पी और जॉन वी जॉर्ज रोहतक रेंज के आई जी पुलिस थे। तत्कालीन चीफ मिनिस्टर ओमप्रकाश चौटाला ने अग्रवाल को आदेश दिया की रोहतक के पूर्व डिप्टी कमिश्नर अनिल कुमार ,पूर्व एस पी चावला साहिब और पूर्व सेशंस जज जिंदल के खिलाफ रोहतक के पूर्व अतिरिक्त सेशन जज के बेटी के अपहरण की साजिश के आरोप में मुकदमा दर्ज करो। असल में जिस तरह विज के दरबार में एक फरियादी ने झूठी शिकायत की उसी तह हरियाणा भवन दिल्ली में एक फरियादी ने ओमप्रकाश चौटाला को उक्त शिकायत कर दी थी।
अब अग्रवाल के आगे इधर कुआँ और उधर खाई वाली बात हो गयी। एक तरफ तो चौटाला जैसे चीफ मिनिस्टर का आदेश और दूसरी तरफ गलत मुकदमा।
चौटाला के आदेश के आगे विज के आदेश की तो कोई औकात ही नहीं।तब अग्रवाल के बचाव में जॉन वी जॉर्ज आए और दिल्ली जाकर चौटाला को बताया की शिकायत में कोई वजन नहीं है। एक प्रोफेशनल अफसर होने के नाते जॉर्ज की चौटाला बहुत इज्जत करते थे। चौटाला ने कहा जैसा आप ठीक समझे करो।
और मामला खत्म।
यह लिखने का मेरा उद्देश्य किसी का महिमामंडन करना नहीं है। बल्कि यह बताना है की अफसरों को अपने मातहतों पर यदि ज्यादती हो रही हो तो बिना किसी की परवाह स्टैंड लेना चाहिए।

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