अहोई अष्टमी- यहां जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3नवंबर

अहोई अष्टमी के दिन माताएँ अपने पुत्रों की भलाई के लिए उषाकाल (भोर) से लेकर गोधूलि बेला (साँझ) तक उपवास करती हैं. साँझ के दौरान आकाश में तारों को देखने के बाद व्रत तोड़ा जाता है. कुछ महिलाएँ चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत को तोड़ती है लेकिन इसका अनुसरण करना कठिन होता है क्योंकि अहोई अष्टमी के दिन रात में चन्द्रोदय देर से होता है. अहोई अष्टमी व्रत का दिन करवा चौथ के चार दिन बाद और दीवाली पूजा से आठ दिन पहले पड़ता है. करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी उत्तर भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है. अहोई अष्टमी का दिन अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह व्रत अष्टमी तिथि, जो कि माह का आठवाँ दिन होता है, के दौरान किया जाता है. करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी का दिन भी कठोर उपवास का दिन होता है और बहुत सी महिलाएँ पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करती हैं. आकाश में तारों को देखने के बाद ही उपवास को तोड़ा जाता है.

अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त-

अहोई अष्टमी रविवार, नवम्बर 8, 2020 को
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – 17:31 से 18:50
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 08, 2020 को 07: 2 9 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – नवम्बर 09, 2020 को 6:50 बजे

अहोई अष्टमी पूजा विधि-

अहोई अष्‍टमी के दिन सबसे पहले स्‍नान कर साफ कपड़ें पहनें और व्रत का संकल्प लें.

– मंदिर की दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता और उनके सात पुत्रों की तस्वीर बनाएं. आप चाहें तो अहोई माता की फोटो बाजार से भी खरीद सकते हैं.

– अहोई माता यानी पार्वती मां के सामने एक पात्र में चावल से भरकर रख दें. इसके साथ ही मूली, सिंघाड़ा या पानी फल रखें.

– मां के सामने एक दीपक जला दें.

– अब एक लोटे में पानी रखें और उसके ऊपर करवा चौथ में इस्तेमाल किया गया करवा रख दें. दिवाली के दिन इस करवे के पानी का छिड़काव पूरे घर में करते हैं.

– अब हाथ में गेहूं या चावल लेकर अहोई अष्टमी व्रत कथा पढ़ें.

– व्रत कथा पढ़ने के बाद मां अहोई की आरती करें और पूजा खत्म होने के बाद उस चावल को दुपट्टे या साड़ी के पल्‍लू में बांध लें.

– शाम को अहोई माता की एक बार फिर पूजा करें और भोग चढ़ाएं तथा लाल रंग के फूल चढ़ाएं.

– शाम को भी अहोई अष्टमी व्रत कथा पढ़ें और आरती करें.

– तारों को अर्घ्य दें. ध्यान रहे कि पानी सारा इस्तेमाल नहीं करना है. कुछ बचा लेना है. ताकि दिवाली के दिन इसका इस्तेमाल किया जा सके.

– पूजा के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लें. सभी को प्रसाद बांटें और भोजन ग्रहण करें.

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