सुना हूँ कि कुछ धर्माचार्य इसी बात पर भिड़े हैं कि लहसुन प्याज खाना चाहिए या नहीं??
मान लो आपके गाँव या शहर में एक बाइक या चार चक्के वाली गाड़ी का प्रसिद्ध #मिस्त्री है,,एक मनुष्यों का प्रसिद्ध जानकार डॉक्टर है,, एक अनुभवी किसान है,,एक अच्छा नर्तक है,,
अब सुबह सुबह आपके पेट में दर्द उठा या बच्चे को बुखार हुआ या पत्नी का पैर टूट गया,, अब आप किसके पास जाएंगे और किसकी बात पर सबसे ज्यादा विश्वास करेंगे??#किसान की,,??नर्तक की??बाइक मिस्त्री की??या डॉक्टर की??
सीधी सी बात है डॉ की बात पर भरोसा भी होगा और जाएंगे भी उसके पास ही,,
मान लो गेहूं पीले पड़ रहे हैं,, अब मिस्त्री से पुछोगे??या #नर्तक से??या डॉ से??,,सीधी सी बात है कि मिस्त्री, डॉ या नर्तक कितने भी अच्छे हों पूछोगे अनुभवी किसान से ही,, इसी तरह अगर गाड़ी के इंजन में कुछ पंगा हो गया तो डॉ के पास जाओगे??किसान के पास??या मिस्त्री के पास?? सीधी बात है मिस्त्री के पास क्योंकि वह उस विधा का मास्टर है,,
क्या खाएं क्या न खाएं यह #आयुर्वेद का विषय है,,भक्ष्य अभक्ष्य आयुर्वेद के आचार्य बता सकते हैं अच्छे से,,विश्वास भी उन्हीं की बात का किया जा सकता है, अन्य अपनी बात रख तो सकते हैं लेकिन विश्वसनीय नहीं मानी जाएगी,,
आयुर्वेद के ऋषि कहते हैं कि #छह रस हैं पृथ्वी पर,,मधु,, अम्ल,, कटु, तिक्त, कषाय, लवण,,
मधु में पृथ्वी और जल तत्व की प्रधानता होती है,, अम्ल में पृथ्वी और अग्नि की प्रधानता होती है,, कटु में वायु और अग्नि की प्रधानता होती है,,तिक्त में वायु और आकाश,, कषाय में वायु और पृथ्वी,, लवण में जल और अग्नि की प्रधानता होती है,,
यही छहों रस वात पित्त कफ के कारक हैं और शरीर में पांचों तत्वों के #सामंजस्य और असामंजस्य के भी,,
आयुर्वेद के तमाम आचार्य कहते हैं कि आपके भोजन में छहों रस सही अनुपात में होने ही चाहिएं,, अन्यथा शारारिक और #मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ा जाएगा,,
शिष्यों ने पूछा है वहां #चरक संहिता के एक प्रसंग में कि अगर छहों रस एकसाथ लंबे समय तक उपलब्ध न हों तो ऐसी अवस्था में कोई क्या करे आचार्य??
तब वहां उपस्थित आचार्यों की मंडली कहती है कि वह व्यक्ति #रसोन का सेवन करे,, वही एकमात्र ऐसी दिव्य औषध है धरती पर जिसमें अकेले में #पांच रस होते हैं,,
और चूंकि मंचो से वाद विवाद करके लोगों को भृमित करने वाले भोंपू जानते ही होंगे कि रसोन किसे कहते हैं,, नहीं पता तो थोड़ा बहुत आयुर्वेद पढ़ा है इस आधार पर हम बता देते हैं कि रसोन #लहसुन को कहते हैं,, आचार्य कहते हैं कि उत्तम स्वास्थ्य चाहने वाले स्त्री पुरुषों की रसोई में रसोन का स्थान जरूर होना चाहिए,, यह अकेली #महाऔषधि है जो आपको शारारिक या मानसिक रोगी होने से बचा लेगी,,
हां 0.001 परसेंट जनसंख्या यानी #साधु संतों के लिए, उनमें भी सिर्फ उंगलियों पर गिने चुने कुछ सम्प्रदायों के लिए यह खाना मनाही है उनके खुद के आचार्यों द्वारा,, अब उनके आचार्य #धर्माचार्य हो सकते हैं इसमें संदेह नहीं,, लेकिन #आयुर्वेदाचार्य भी हों यह जरूरी तो नहीं,,
इसलिए सभी छोटे बड़े स्त्री पुरुष को आयुर्वेद के आचार्य कहते हैं कि लहसुन अकेला है जो अपने में पांच रस समेटे हुए है,, उत्तम स्वास्थ्य की चाहना रखने वाले इसका सेवन जरूर करें,,,
और हाँ,, मिस्त्री के काम में मिस्त्री की,, खेती के काम में अनुभवी किसान की,, बीमारी में #डॉक्टर की ही सुनें,,यानी जो जिसका विषय है और वो उसका जानकर भी है उसी की सुनें,, जीवन में भृमित होने और एक बड़े कीमती चीज जिसको #समय कहते हैं उसको वाद विवाद में नष्ट होने से बचा लेंगे आसानी से,,वरना लहसुन प्याज खाएं न खाएं आपकी खोपड़ी जरूर खा जाएंगे विवाद कर करके,,
परमात्मा सद्बुद्धि दे। सूर्यदेव