सहकारिता ही एक मात्र ऐसा मॉडल है जो हर क्षेत्र में समविकास कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है- अमित शाह

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13सितंबर। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में ‘डेयरी क्षेत्र के लिए सहकारी संस्थानों की प्रासंगिकता’ विषय पर विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन-2022 में को संबोधित किया। गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन-2022 का उद्घाटन किया और 1974 के बाद आज पहली बार अंतर्राष्ट्रीय डेयरी फ़ेडरेशन के डेयरी शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत में हो रहा है।

। हमारे करोड़ों पशुपालक भाईयों, विशेषकर बहनों, और किसानों के पुरूषार्थ के कारण देश इस डेयरी क्षेत्र में ना केवल आत्मनिर्भर हुआ है बल्कि हम निर्यात भी कर पा रहे हैं।

मोदी जी के नेतृत्व में गत 8 साल में भारत 11वीं अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि जल्द ही हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगे जिसमें सहकारिता क्षेत्र बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।

लाखों छोटे और सीमांत डेयरी किसानों के योगदान से आज भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया है आज भारत में सबसे ज़्यादा प्रासंगिकता डेयरी क्षेत्र में कोऑपरेटिव संस्थानों की है।

मोदी सरकार मानती है कि भारत के साथ-साथ विश्वभर के गरीब किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहिए, इसके लिए देशों के बीच कोआपरेटिव क्षेत्र की success स्टोरी (जैसे भारत की अमूल) का आदान प्रदान होना चाहिए जिससे पूरे विश्व के लोगों का कल्याण हो सके।

भारत ने सहकारिता का एक मॉडल सफलतापुर्वक दुनिया के सामने रखने का काम किया है।

सहकारिता ही एक मात्र ऐसा मॉडल है जो हर क्षेत्र में समविकास कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है।

भारत में कोआपरेटिव क्षेत्र का 360 डिग्री विकास हुआ है कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं रहा जिसे कोआपरेटिव ने छुआ न हो।

मोदी सरकार किसानों को प्रोत्साहित कर देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है, कोआपरेटिव डेयरी के माध्यम से प्राकृतिक खेती भी होती है और देश के नागरिक के स्वास्थ्य की चिंता भी होती है

ग्रामीण विकास के लिए सहकारी डेयरी व अन्य सहकारी संस्थाओं ने गुजरात में बहुत योगदान दिया है, गुजरात के उस सहकारी मॉडल को इस सम्मेलन में आए सभी महानुभावों को गुजरात जाकर नजदीक से देखना चाहिए।

प्राकृतिक खेती से उपजे उत्पाद देश के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने के साथ-साथ भारत के अर्थतंत्र के विकास में अहम योगदान देंगे।

प्राकृतिक खेती को डेयरी का प्राण बनाना चाहिए, सहकारी डेयरी का लक्ष्य पैसा कमाना नहीं बल्कि एक सशक्त भारत का निर्माण कर हर नागरिक को उत्तम स्वास्थ्य देना है, इसमें दुनिया भर के किसानों को हम रास्ता दिखा सकते है।

कोऑपरेटिव डेयरी अनेक प्रकार के आयामों को छूते हुए देश के विकास में अपना योगदान देती है और इसके माध्यम से हम स्वावलंबी बन सकते हैं

विश्वभर के देशों में डेयरी उद्योग में दुग्ध उत्पादन से मुनाफे का सिर्फ 40-50% तक पैसा ही किसानों को मिल पाता है लेकिन भारत में डेयरी सहकारिताएं उपभोक्ता मूल्य का 70% रिटर्न दुग्ध उत्पादन करने वाले किसानों के बैंक अकाउंट में जमा करती हैं जो भारत की बड़ी उपलब्धि है, और पूरे विश्व को इस मॉडल को अपनाना चाहिए।

मोदी जी के नेतृत्व में हर गरीब देश तक दूध उत्पाद पहुँचाकर वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को चरितार्थ करना भारत का लक्ष्य है।

 

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