समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12सितंबर। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है और इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए विधि-विधान से उनका श्राद्ध करते हैं. इस बार 10 सितंबर से श्राद्ध की शुरू हो गए हैं और 25 सितंबर तक रहेंगे. इस दौरान अलग-अलग तिथिओं के अनुसार श्राद्ध किया जाता है. कहते हैं कि विधि-विधान से श्राद्ध करने से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. 15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष के दौरान लोगों को कुछ काम अवश्य करने चाहिए जिससे पितर प्रसन्न हो जाएं.
अगर आपको अपने पितरों और पूर्वजों की मृत्यु की हिंदी तिथि पता है तो उसी के अनुसार पितृ पक्ष में उस दिन उनका श्राद्ध करें. अगर तिथि नहीं पता तो हर दिन एक काम अवश्य कर दें. पितृ पक्ष में 15 दिनों तक लगातार सबसे पहले दो रोटियां अवश्य बनाएं. सुबह उठते ही स्नान आदि करने के बाद दो रोटी बनाएं और उस पर कुछ मीठा रखें. इसके बाद हाथ में जल लेकर तीन बार उसके चारों ओर घुमाएं और पितरों को प्रणाम करें. इसके बाद एक रोटी को गाय को खिला दें और दूसरी रोटी कोवे को खिलाएं.
कहते हैं कि 15 दिनों तक लगातार ऐसा करने से पितर खुश होते हैं और आपको व आपके परिवार को अपना आशीर्वाद देते हैं. यदि पितर खुश हैं तो कभी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. साथ ही पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करने से पितृ दोष से भी काफी हद तक छुटकारा मिलता है.
पितृ पक्ष के नियम
पितृ पक्ष में तामसिक भोजन व मदिरा आदि से दूर रहना चाहिए. 15 दिनों तक बाल नहीं कटवाने चाहिए. पितरों का श्राद्ध घर का बेटा व बहु ही करते हैं. इसलिए यदि पुरुष शादीशुदा है तो उसे अपनी पत्नी के साथ बैठकर ही श्राद्ध कार्य करना चाहिए.