मंथन- पंचनद : विमर्श का सांगोपांग मंथन (6) – सु-फलता और सफलता देती कार्य योजनाएं

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पार्थसारथि थपलियाल
पार्थसारथि थपलियाल

पार्थसारथि थपलियाल
14 जून को भोजनान्तर काल के एक सत्र में पंचनद शोध संस्थान के विभिन्न विभागों के प्रमुखों से उनके विभागों से प्रतिवेदन प्राप्त करने का था। सुबह के एक सत्र में पंचनद के निदेशक डॉ. कृष्ण चंद्र पांडेय ने बताया था कि पंचनद शोध संस्थान एक संवाद संगठन है। इसकी स्थापना 20वीं शताब्दी के नौवें दशक में तब की गई थी जब पंजाब में सामाजिक संवादहीनता बढ़ रही थी। इस दौर में समाज के 2-3 प्रबुद्ध शुभचिंतकों के मन में विचार आया कि समाज में संवादहीनता उचित नही। इसके लिए संवाद स्थापित करने के उद्देश्य के लिए एक संस्था का गठन किया। पिछले 38 वर्षों में संगठन को विस्तार देते हुए विभिन्न कार्यों को अलग अलग प्रभारियों/ विभाग प्रमुखों के माध्यम से कार्य को बढ़ाया गया।
इस सत्र में संगठन की प्रगति जानना भी आवश्यक था। वर्तमान में पंचनद शोध संस्थान के उद्देश्यों को गति देने के लिए 7 विभाग हैं। प्रत्येक विभाग के विभाग प्रमुख हैं। केवल स्मरण के लिए उनका विवरण दिया जा रहा है-
संगठन विभाग- डॉ. अरुण मेहरा व डॉ. गोविंद बल्लभ
बौद्धिक विभाग- श्री संजय मित्तल
प्रकाशन विभाग- पार्थसारथि थपलियाल व गोविंद बल्लभ
शोध विभाग -श्री दिनेश कुमार
पारंपरिक मीडिया- सुमंतो घोष
सोशल मीडिया – डॉ. प्रदीप तिवारी
प्रशिक्षण विभाग- डॉ. ऋषि गोयल
डॉ. अरुण मेहरा, पिछली कार्यकारिणी में महासचिव रहे हैं, वर्तमान में संगठन प्रभारी हैं। उनका पंचनद के साथ कार्य करने का लंबा और परिणामपरक अनुभव रहा है। कुछ ही समय में पंचनद का विस्तार और जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, और दिल्ली में 42 अध्ययन केंद्र हैं। इन केंद्रों पर सदस्यों में पारस्परिक संवाद भी बढ़ है और सभी निर्धारित लक्ष्य आशा के अनुकूल रहे है। उन्होंने बताया दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल में प्रांत समन्वयक निर्धारित हैं, जो सभी सक्रिय हैं। कुछ केंद्र जो कम गतिशील हैं उन्हें गतिवान बनाने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया अधिकतर केंद्रों पर 7-8 कार्यकर्ताओं की टोली गठित है।
शोध विभाग के प्रमुख श्री दिनेश कुमार ने पंचनद की शोध परंपरा पर अपनी बात रखी। क्योंकि गत दो वर्ष कोरोना की प्रलयंकारी पीड़ा मानवीय दर्द था इसलिए कोरोना का पंचकुला मॉडल सर्वेक्षण प्रमुख रहा।
बौद्धिक प्रभारी श्री संजय मित्तल ने कोरोना काल मे पंचनद द्वारा आयोजित विभिन्न वेबगोष्ठियों और व्याख्यानों के बारे में जानकारी दी। केंद्रीय स्तर की वेबगोष्ठियों /व्याख्यानों, और वार्षिक व्याख्यान की उन्होंने चर्चा की। वास्तव में कोरोना काल मे पंचनद ने जनजागरण का विशद काम किया।
प्रकाशन विभाग के प्रभारी श्री पार्थसारथि थपलियाल ने बताया कि गत वर्ष प्रकाशन विभाग ने वार्षिक शोध पत्रिका 2020-हमारी लोक परंपराएं का प्रकाशन किया था। इसकी प्रथम प्रति उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को भेंट की गई थी। इसके अलावा कोरोना काल में निम्नलिखित प्रकाशन भी किये गए-
कोरोना का पंचकुला मॉडल-सर्वेक्षण रिपोर्ट
सोशल मीडिया : करणीय अकरणीय
भारत 2047- सामुहिक संकल्पना (हिंदी में)
Bharat 2047 A collective vision
Journalism of Ethics and value
पंचनद वार्षिक पत्रिका-2021 : स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर।
पारंपरिक मीडिया प्रभारी श्री सुमंतो घोष ने पंचकुला में कोरोना काल के सर्वेक्षण से बात शुरू करते हुए पंचनद के सभी कार्यक्रमों को मीडिया और प्रेस के माध्यम से बनउ प्रचारित किया। उन्होंने अपने यू ट्यूब चैनल के प्रयास की भी चर्चा की।
सोशल मीडिया प्रमुख डॉ. प्रदीप तिवारी ने वेबगोष्ठियों के माध्यम से जुड़ने और इनके आयोजन संबंधी सूचना व आयोजित कार्यक्रमों का समाचार निरंतरता से सोशल मीडिया को फीड करते रहे। यह उनकी प्रस्तुति का प्रसाद था।
डॉ. ऋषि गोयल जो प्रशिक्षण विभाग के प्रमुख हैं संभवतः मैं सुन नही पाया।
कुल मिलाकर पंचनद के अध्यक्ष माननीय कुठियाला जी (वयोवृद्ध युवा) और निदेशक पांडेय जी (गतिवान युवा) पंचनद नामक इस व्यवस्था को बुलेट ट्रेन की तरह लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, हमारी सु-फलता और सफलता इसका जीता जागता प्रमाण है। हमारी पारस्परिकता सदैव
लक्षित लक्ष्य को प्राप्त करती रहे। ऐसी कामना है।

लक्ष्य तक अति दूर दुर्गम मार्ग भी हम जानते हैं,
किन्तु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं,
जब प्रगति का नाम जीवन, यह अकाल विराम कैसा।
लक्ष्य तक पहुंचे बिना, पथ में पथिक विश्राम कैसा।।

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