अंग्रज़ों को उन्हीं की भाषा में दिया मुंह तोड़ जवाब..ऐसी थी कलकत्ता की रानी रासमणि

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स्निग्धा श्रीवास्तव

लगभग 200 साल तक हिंदुस्तान पर अंग्रेज़ों का राज रहा। इस दौरान देश की जनता ने बहुत कुछ देखा और झेला। बहुत से जवान शहीद हुए..ना जाने कितने लोगों ने महान काम किए जिनका जिक्र हम इतिहास में पढ़ते है लेकिन देश में ऐसे कई महान नेता और महिलाएं है जिन्होंने अंग्रज़ों को सबक भी सिखाया और उन्हीं की भाषा में उन्हें मुंह तोड़ जवाब दिया। लेकिन कुछ राजनेताओं ने सत्ता की लालच में आकर देश के ऐसे कई नायकों का वर्णन जनता से छुपा कर रखा है जिसके कारण आज भी हमारे युवा देश के असली नायकों से सही मायने में परिचित ही नही हुए है।
उस समय सत्ताधारी नेताओं ने मात्र उन्हीं देश भक्तों का नाम देश में उजागर किया जिससे उन्हें अपना खुद का लाभ दिखाई दिया। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारें में बताने जा रहे है जिसनें अंग्रज़ों को सबक भी सिखाया और उन्हीं की भाषा में उन्हें मुंह तोड़ जवाब दिया। यह प्रेरणादायक कहानी बंगाल की रानी रासमणि की भी है। रानी रासमणि वो मामूली महिला थीं, जिनके तलवार से तेज़ दिमाग़ ने अंग्रेज़ों को उनके आगे झुका दिया।

बंगालनिवासी रानी रासमणि का जन्म 28 सितंबर 1793 को केवट समुदाय में हुआ था। उनके माता-पिता मछली पकड़ कर घर चलाते थे। एक छोटे समुदाय से होने की वजह से उनके परिवार को कभी समाज में सम्मान की नज़रों से नहीं देखा गया। वो लगभग सात साल की होंगी, जब उनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया।
इसके बाद 11 साल की उम्र में उनकी शादी जमींदार बाबू राजचंद्र दास से कर दी गई। रानी जंमीदार की तीसरी पत्नि थीं और वो उम्र में पति से काफ़ी छोटी थीं। यही वजह थी कि वो छोटी सी उम्र में विधवा हो गई थीं। रानी छोटे समुदाय से ज़रूर थीं, लेकिन उनका दिमाग़ काफ़ी तेज़ था। इसलिये राजचंद्र दास उन्हें अपने बिज़नेस में शामिल कर लिया था।

कहा जाता है कि 1840 के आस-पास अंग्रेज़ों द्वारा बंगाल में एक नया नियम लागू किया गया। नियम के मुताबिक, जो भी मछुआरे हुगली नदी पर मछली पकड़ने आयेंगे, उन्हें टैक्स देना होगा. बेचारे मछुआरे वैसे ही कैसे-कैसे जीवन काट रहे थे। ऊपर से टैक्स का बोझ। अंग्रेज़ों का कहना था कि मछलियों की वजह से स्टीमरों के आने में दिक्कत होती है। इसलिये उन्हें टैक्स तो देना होगा।
ब्रिटिश सरकार के अत्याचार का शिकार मछुआरे अपनी तकलीफ़ लेकर रासमणि के पास पहुंचे. उस समय रानी को बांग्ला की राशमोनी के नाम से भी जाना जाता था।
ब्रिटिश सरकार ने रानी से डील तो कर ली थी, पर वो ये भूल गये कि स्टीमरों के आने-जाने में अभी भी दिक्कत होगी। बाद में हुआ भी वैसा ही. उन्होंने रानी से जवाब मांगा, तो रानी ने भी अपने कागज़ दिखा दिये। जिसके बाद अंग्रेज़ उनका कुछ न बिगाड़ सके और उन्हें समझ आ गया कि ये सब रानी ने ग़रीब मछुआरों के लिये किया था।
इस क़िस्से के बाद हर ओर उस साधारण महिला की चर्चा थी। 1861 के आस-पास रानी का निधन हो गया था, लेकिन अपनी मौत से पहले उन्होंने दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण भी कराया था।तेज़ दिमाग़ और ग़रीब की मदद करने की वजह से आज भी बंगाल में रानी रासमणि को याद किया जाता है।
रानी रासमणि को अक्सर लोकसंस्कृति में सम्मानजनक रूपसे “लोकमाता” कहा जाता है।

कोलकाता के विभिन्न क्षेत्रों में रानी रासमणि के सम्मान में अनेक सड़कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों के नाम उनके नाम पर है:

कोलकाता के धर्मतला(एस्प्लनेड) में रानी रासमणि के नाम से रानी रासमणि ऍवेन्यू है, जिसके किनारे उनकी एक प्रतिमा भी है।
कोलकाता के जानबाजार में उनकी पैतृक निवास के पास वाली सड़क का नाम रानी रासमणि रोड है।
इसके अलावा, विवेकानन्द सेतु के मोड़ से दक्षिणेश्वर मंदिर तक जाने वाली सड़क का नाम भी रानी रासमणि मार्ग किया गया है।
1993 में भारतीय डाक विभाग ने रानी रासमणि की द्विषत सालगिराह के उपलक्ष्य में एक विशेष स्टाम्प जारी किया गया था।
इसके अलावा, दक्षिणेश्वर मन्दिर के निकट स्थित फेरी घाट का नाम भी रानी रासमणि घाट है।

वर्ष 1955 में रानी रासमणि की जीवन पर बंगला भाषा मे एक जीवनचरित्र फ़िल्म बनाई गई थी, जिसका निर्देशन कालीप्रसाद घोष ने किया था, एवं रानी रासमणि के मुख्य किरदार को मशहूर अभिनेता मोलिना देवी ने निभाया था।

“लोकमाता” रानी रासमणि द्वारा किए गए महान काम

1. हावड़ा में गंगा नदी पर पुल बनाकर कलकत्ता शहर बसाया?

2. अंग्रेजों को ना तो नदी पर टैक्स वसूलने दिया, और ना ही दुर्गा पूजा की यात्रा को रोकने दिया

3. कलकत्ता में “दक्षिणेश्वर मंदिर” बनवाया
4. कलकत्ता में गंगा नदी पर बाबू घाट और नीमतला घाट बनवाए

5. श्रीनगर में “शंकराचार्य मंदिर” का पुनरोद्धार करवाया

6. मथुरा में “श्री कृष्ण जन्मभूमि” की दीवार बनवाई

7. ढाका में मुस्लिम नवाब से 2,000 हिंदुओं की स्वतंत्रता खरीदी
8. रामेश्वरम से श्रीलंका के मंदिरों के लिए “नौका सेवा” आरम्भ करवाई

9. कलकत्ता का “क्रिकेट स्टेडियम” इनके द्वारा दान दी गई भूमि पर बना है
10. “सुवर्णरेखा नदी” से पुरी तक सड़क बनाई

11. “प्रेसिडेंसी कॉलेज” और “नेशनल लाइब्रेरी” के लिए धन दिया?

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