महान खगोल विज्ञानी एवं महान कायस्थ व्यक्तित्व डॉ0 मेघनाथ साहा

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
अक्तूबर 06, 2020
वैसे तो हर क्षेत्र में कायस्थों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है, परंतु जिस महान कायस्थ व्यक्तित्व के बारे में आज जन्मदिन है एक महान खगोल विज्ञानी भी रहे हैं वह महान कायस्थ व्यक्तित्व है श्री मेघनाद साहा जी। मेघनाद साहा सुप्रसिद्ध भारतीय खगोलविज्ञानी (एस्ट्रोफिजिसिस्ट्) थे। वे साहा समीकरण के प्रतिपादन के लिये प्रसिद्ध हैं।

यह समीकरण तारों में भौतिक एवं रासायनिक स्थिति की व्याख्या करता है। उनकी अध्यक्षता में गठित विद्वानों की एक समिति ने भारत के राष्ट्रीय शक पंचांग का भी संशोधन किया, जो 22 मार्च 1957 (1 चैत्र 1879 शक) से लागू किया गया। इन्होंने साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान तथा इण्डियन एसोसियेशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साईन्स नामक दो महत्त्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना की।

परिचय
डॉ. मेघनाथ साहा का जन्म 6 अक्टूबर 1893 को ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) से लगभग 45 किलोमीटर दूर शाओराटोली गाँव में एक ग़रीब कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता एक साधारण व्यापारी थे। मेघनाथ अपने माता-पिता की पांचवी संतान थे। आर्थिक रूप से तंग परिवार में पैदा होने के कारण साहा को आगे बढ़ने के लिये बहुत संघर्ष करना पड़ा। उनके पंसारी पिता चाहते थे कि वे व्यवसाय में उनकी मदद करें, पर होनहार मेघनाद को यह मंजूर नहीं था।

वर्ष 1917 में मेघनाथ साहा कोलकाता के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ साइंस में प्राध्यापक के तौर पर नियुक्त हो गए। वहां वह क्वांटम फिजिक्स पढ़ाते थे। वहीं पर उन्होंने उच्च अनुसंधान कार्य किया और डी.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की। तारा भौतिकी पर एक निबन्ध लिखकर इन्होंने एक प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त किया। एस.एन. बोस के साथ मिलकर उन्होंने आइंस्टीन और मिंकोवस्की द्वारा लिखित शोध पत्रों का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया। 1919 में अमेरिकी खगोल भौतिकी जर्नल में मेघनाद साहा का एक शोध पत्र छपा। इस शोध पत्र में साहा ने “आयनीकरण फार्मूला” को प्रतिपादित किया। खगोल भौतिकी के क्षेत्र में ये एक नयी खोज थी, जिसका प्रभाव दूरगामी रहा और बाद में किए गए कई शोध उनके सिद्धातों पर ही आधारित थे। इसके बाद मेघनाथ साहा 2 वर्षों के लिए विदेश चले गए और लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज और जर्मनी की एक शोध प्रयोगशाला में अनुसंधान कार्य किया।

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट में बड़ी भूमिका
साल 1927 में उन्हें लंदन के रॉयल सोसायटी का फैलो निर्वाचित किया गया। इसके बाद वह इलाहाबाद गए। यहां उत्तर प्रदेश एकेडमी ऑफ साइंस की स्थापना हुई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फिजिक्स डिपार्टमेंट की स्थापना में भी बड़ी भूमिका निभाई। फिर साल 1938 में वो कोलकाता के साइंस कॉलेज वापस आ गए। वर्ष 1955 में इनकी नियुक्ति कोलकाता के ‘इंडियन एसोसियेशन फ़ॉर दी कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस’ के निदेशक पद हो गई। 1956 में इन्होंने कोलकाता में ‘इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूक्लियर फ़िजिक्स’ की स्थापना की और उसके निदेशक बने।

साइंस एंड कल्चर नामक पत्रिका का संपादन

मेघनाद साहा ने इसके बाद ‘साइंस एंड कल्चर’ नाम की पत्रिका भी निकाली। इसमें वह अंतिम समय तक बतौर संपादक बने रहे। साथ ही कई वैज्ञानिक समितियों की स्थापना में भी सहयोग दिया। इनमें नेशनल एकेडेमी ऑफ़ साइंस (1930), इंडियन फिजिकल सोसाइटी (1934) और इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस (1944) जैसी वैज्ञानिक समितियां प्रमुख हैं। वर्ष 1947 में उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूक्लियर फिजिक्स की स्थापना की जो बाद में उनके नाम पर ‘साहा इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूक्लियर फिजिक्स’ हो गया।

भारतीय कैलेंडर के क्षेत्र में अहम योगदान
साहा का नाम हैली धूमकेतु पर किये गए महत्वपूर्ण शोधों में भी आता है। खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उनका अविस्मरणीय योगदान है। उनके द्वारा प्रतिपादित तापीय आयनीकरण (थर्मल आयोनाइजेश) के सिद्धांत को खगोल विज्ञान में तारकीय वायुमंडल के जन्म और उसके रासायनिक संगठन की जानकारी का आधार माना जा सकता है। खगोल विज्ञान (Astronomy) के क्षेत्र में उनके अनुसंधानों का प्रभाव दूरगामी रहा और बाद में किए गए कई शोध उनके सिद्धातों पर ही आधारित थे। साहा समीकरण ने सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया और यह समीरकरण तारकीय वायुमंडल के विस्तृत अध्ययन का आधार बना। भारतीय कैलेंडर के क्षेत्र में भी उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था।
विश्व के अन्य वैज्ञानिकों एवं भौतिकशास्त्रियों के मत
उनकी (साहा की) खोजें हलचल मचा देने वाली थीं। वे शुरू से ही नवीन खोजों में रुचि रखने वाले व्यक्ति थे। उनके दिये सिद्धांत विज्ञान की दुनिया में उपयोग किए जाते रहेंगे।
—जे.जे. थॉमसन, प्रसिद्ध पाश्चात्य वैज्ञानिक

982 में नोबल पुरस्कार विजेता खगोलशास्त्री एस़ चंद्रशेखर ने लिखा था,

”खगोलशास्त्र और भारत के आधुनिक विज्ञान में मेघनाद साहा का योगदान अद्वितीय है।”

एस़ रोसलेंड ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘थ्योरेटिकल एस्ट्रोफिजिक्स’ में लिखा है,

”खगोल भौतिकी को जो प्रोत्साहन साहा के काम से मिला है उसका अंदाजा शायद ही लगाया जा सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र में जो प्रगति हुई वह उन्हीं से प्रेरित है और उसके बाद किए गए कामों में साहा के ही विचारों के अंश मिलते हैं।’

जननायक
वैज्ञानिक होने के साथ-साथ डॉ. साहा आम जनता में भी लोकप्रिय थे। वह 1952 में भारत के पहले लोकसभा के चुनाव में कलकत्ता से भारी बहुमत से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीतकर आए। उन्होंने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ राष्ट्रीय योजना समिति में काम किया। 16 फरवरी 1956 को यह महान वैज्ञानिक योजना आयोग की एक बैठक में भाग लेने राष्ट्रपति भवन की ओर जा रहे थे कि अचानक गिर पड़े और हृदय गति रुक जाने से संसार से विदा हो गए।

आलोक सतीश श्रीवास्तव

जिलाध्यक्ष अखिल भारतीय कायस्थ महासभा दिल्ली पंजीकृत
founder of PHYSICIST SKMFINDIATV

https://www.facebook.com/physicistskmfindiatv/

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.