हरियाणा में निजी क्षेत्र में मिलेगा 75 फीसदी आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी

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समग्र समाचार सेवा

नई दिल्ली, 17 फरवरी। निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने के कानून पर रोक लगाने वाले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया है। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। SC ने हाई कोर्ट से कहा है कि एक महीने के अंदर इस मामले में निर्णय लेकर राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए और इस दौरान रोजगार दाताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाया जाए।

हरियाणा सरकार ने ये लिया था फैसला

बता दें कि हरियाणा सरकार ने निजी रोजगार में स्थानीय लोगो को 50  फीसदी आरक्षण करने का फैसला लिया था। इसके बाद तीन फरवरी को हाई कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी थी। फरीदाबाद इंडस्ट्रियल असोसिएशन के साथ अन्य ने हाई कोर्ट को बताया था कि उनके यहां कर्मचारियों का चयन योग्यता के अनुसार किया जाता है। हाई कोर्ट से कहा गया कि अगर कंपनियां अपने मनपसंद कर्मचारी नहीं चुन पाएंगी तो उनके कारोबार पर असर पड़ेगा।

हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता की ने ये दी दलील

हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई थी कि अगर सरकार का यह फैसला लागू होता है तो रोजगार को लेकर अराजकता फैल जाएगी और योग्य लोग वंचित रह जाएंगे। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी। इसके बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दे दी।

रोजगार ऐक्ट 2020 के तहत क्या था प्रावधान

गौरतलब है कि हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार ऐक्ट 2020 को पिछले साल नवंबर में अधिसूचित किया गया था। इसके तहत कहा गया है कि निजी क्षेत्र में 30 हजार की सैलरी से कम वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। यह नियम कंपनियों, ट्रस्टों, समितियों और ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाले एंप्लायर पर लागू होगा।

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