हिजाब विवादः घूंघट, चूड़ी, पगड़ी, क्रॉस को छूट तो हिजाब पर सवाल क्यों, आज फिर होगी सुनवाई

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समग्र समाचार सेवा

बेंगलुरु, 17 फरवरी। कर्नाटक के हिजाब विवाद को लेकर हाईकोर्ट में बुधवार को चौथे दिन भी सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से जिरह करते हुए अधिवक्ता रवि वर्मा कुमार ने कहा कि अकेले हिजाब का ही जिक्र क्यों है जब दुपट्टा, चूड़ियां, पगड़ी, क्रॉस और बिंदी जैसे सैकड़ों धार्मिक प्रतीक चिन्ह लोगों द्वारा रोजाना पहने जाते हैं।

कोर्ट में धार्मिक प्रतीकों की विविधता के बारे में बहस

उन्होंने कहा, मैं केवल समाज के सभी वर्गों में धार्मिक प्रतीकों की विविधता को उजागर कर रहा हूं। सरकार अकेले हिजाब को चुनकर भेदभाव क्यों कर रही है? चूड़ियां पहनी जाती हैं? क्या वे धार्मिक प्रतीक नहीं है? कुमार ने कहा, यह केवल उनके धर्म के कारण है कि याचिककर्ता को कक्षा से बाहर भेजा जा रहा है। बिंदी लगाने वाली लड़की को बाहर नहीं भेजा जा रहा, चूड़ी पहने वाली लड़की को भी नहीं। क्रॉस पहनने वाली ईसाइयों को भी नहीं, केवल इन्हें ही क्यों। यह संविधान के आर्टिकल15 का उल्लंघन है।

आज फिर होगी मामले पर सुनवाई

वरिष्ठ अधिवक्ता रवि वर्मा कुमार ने राज्य सरकार की अधिसूचना को अवैध ठहराते हुए कहा है कि कर्नाटक एजुकेशन ऐक्ट में इस संबंध में प्रावधान नहीं है। हिजाब विवाद पर बृहस्पतिवार को ढाई बजे फिर से सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि यदि बैन को लेकर कोई आदेश जारी किया गया है तो उस संबंध में छात्राओं के परिजनों को एक साल पहले ही इसकी जानकारी देनी थी। इसके लिए उन्होंने एजुकेशन एक्ट का हवाला दिया जिसमें किसी भी नियम के बारे में एक साल पहले बताने का प्रावधान है।

कॉलेज में ड्रेस कोड का नियम ही नहींफिर रोक कैसे

हिजाब समर्थक छात्राओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि आखिर किन नियम और अधिकार के तहत उसने हिजाब पर रोक लगाई है। ऐसा किसी भी कानून में नहीं है। उन्होंने कहा कि प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में ड्रेस को लेकर कोई नियम नहीं है। उन्होंने कहा, यह कानून नहीं है बल्कि एक नियमावली है। इसमें कहा गया है कि प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में कोई यूनिफॉर्म नहीं है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय विकास परिषद के पास इस संबंध में कोई नियम तय करने का अधिकार नहीं है।

भाजपा विधायक के कॉलेज कमेटी के अध्यक्ष होने पर सवाल

अधिवक्ता रवि वर्मा कुमार ने उडुपी के भाजपा विधायक के कॉलेज कमेटी के अध्यक्ष होने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि एक विधायक जो एक राजनीतिक दल और विचारधारा का प्रतिनिधि है। क्या ऐसे किसी व्यक्ति की विद्यार्थियों के हित में काम करने की मंशा पर भरोसा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कमेटी का गठन किया जाना लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। 

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