समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3 फरवरी। दिल्ली दंगे की साजिश के आरोपित जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद पर बुधवार को अभियोजन पक्ष ने खून बहाने की मंशा रखने का गंभीर आरोप लगाया। विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत में गोपनीय गवाह का मजिस्ट्रेट को दिया बयान पढ़ा। इसमें बताया कि ‘सीलमपुर में हुई बैठक में उमर खालिद ने गुल (गुलफिशा) से कहा था कि भाषणों से काम नहीं चलेगा, यह समझो कि सरकार मुसलमानों के खिलाफ है और खून बहाना पड़ेगा। चक्का जाम ही आखिरी रास्ता है। हमें सरकार को घुटनों पर लाना होगा। ‘संघियों’ की सरकार इस तरह नहीं मानेगी।’
वाट्सएप चैट प्रस्तुत की गई
विशेष लोक अभियोजक ने सीलमपुर में पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य देवांगना कलीता और नताशा नरवाल की सक्रियता के बारे में भी बताया। इसके साथ ही संबंधित वाट्सएप चैट प्रस्तुत करते हुए कहा कि इन्हीं दोनों ने जाह्नवी और तबरेज नामक व्यक्ति के माध्यम से छह बसों और एक कैंटर में 23 फरवरी 2020 को जहांगीरपुरी से बुर्के वाली 250-300 महिलाओं को जाफराबाद प्रदर्शन स्थल तक पहुंचाया था।
बसों और कैंटर की तस्वीरें दिखाईं गईं
बसों और कैंटर की तस्वीरें दिखाते हुए बताया कि देवांगना और नताशा ने ही इनका किराया भी दिया था। इन्हें पहले शाहीनबाग ले जाया गया था। वहां उन्हें मिर्च पाउडर, कांच की बोतलें और पत्थर मुहैया कराए गए थे। अमित प्रसाद ने कहा कि उमर खालिद को 10 फरवरी 2020 को जंतर-मंतर पर हुए धरने से जहांगीरपुरी में रह रहीं इन महिलाओं के बारे में पता चला था, जो बांग्लादेशी मूल की हैं।
हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या का जिक्र
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए धरने और साजिश को उन्होंने एनीमेशन के जरिये अदालत को समझाया। इसमें बताया कि किस तरह 25 फुटा रोड पर हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या कर दी गई थी। इससे पहले कैमरों को कपड़ों से ढंका गया और उनकी दिशा बदली गई या कनेक्शन हटा दिया गया। यही नहीं, दंगाइयों के लिए विशेष तरह से हथियार भी तैयार किए गए थे। अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि दंगे के दौरान उमर खालिद समस्तीपुर से नताशा नरवाल के लगातार संपर्क में था और उसे दिशानिर्देश दे रहा था।