समग्र समाचार सेवा
नैनीताल, 7 जनवरी। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को झटका देते हुए 28 अक्टूबर, 2021 को लागू की गई नई खनन नीति पर रोक लगा दी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने एक याचिका पर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार को भी नोटिस जारी किया और चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने को कहा।
याचिका नैनीताल निवासी ने दायर की थी। इसने आरोप लगाया कि नई खनन नीति केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी लिए बिना लागू की गई थी। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि निजी पार्टियों को खनन पट्टे जारी करते समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और पर्यावरण को संभावित नुकसान की अनदेखी की गई।
नई नीति में 5 हेक्टेयर तक की भूमि पर उत्खनन का पहला अधिकार उसके मालिक को दिया जाएगा और किसी भी व्यक्ति को दो क्षेत्रों के उत्खनन का अधिकार पट्टे पर नहीं दिया जाएगा।
इसमें यह भी कहा गया है कि सरकार उन सभी आरक्षित क्षेत्रों पर खुली बोली पर जमीन देगी जहां इसकी मुख्य तीन एजेंसियां- गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन), कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) और उत्तराखंड वन विकास निगम (यूएफडीसी) के पास कोई जमीन नहीं है। नदी तल खनन।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि नई खनन / उत्खनन नीति, जिसे स्थानीय रूप से खानन के रूप में जाना जाता है, लाने का निर्णय अवैध संचालकों के पैर जमाने के लिए आया है, जिससे राज्य को काफी राजस्व का नुकसान होता है।