
*गिरीश पाण्डे
आज लालबहादुर शास्त्री देश के अब तक के सबसे प्यारे और सादगी से ओतप्रोत ,राष्ट्र , जनता ( हम भारत के लोगों ) से और ज़मीन जुड़े हुए,किसानों और जवानों को महत्व देने/ दिलाने वाले सत्य और अहिंसा के साधक ( किंतु आत्म रक्षार्थ युद्ध को भी स्वीकारने वाले), बड़बोलेपन से परे शांत भाव वाले , काम पर ही ध्यान , प्रचार में नहीं,निर्विवाद और सबके आदर्श ,निस्वार्थ तपस्वी तथा सामान्य परिवार से उभरे तथा सामान्य तरीक़े से ही परिवार को पालने/ निभाने वाले प्रधानमंत्री के जन्म दिन पर बधाइयाँ ; और विशेष शुभकामना यह कि देश में आगे आने वाले सभी चुनावों में हम सब को शास्त्री जी जैसा ही प्रतिनिधि मिले ।और यह असम्भव नहीं , सम्भव है ; और होने भी जा रहा है ।हमको आपको ही सम्भव करना है । शास्त्री जी जैसे व्यक्तियों को ढूँढिए , प्रत्याशी बनाइए और पार्टियों के दलदल से ऊपर उठकर उसे वोट दीजिए। हो सकता है तमाम सारे प्रत्याशी / पार्टियाँ तरह – तरह को तरह प्रलोभन दे रहे हों , धन या सामान दे बाँटे रहे हों । आप सब ले लीजिए क्योंकि वह जो भी आपको दे रहे हैं , आपका ही पैसा है जो किसी न किसी योजना में उन्होंने चुराकर अपने पास रखा है और अगर आप नहीं लेंगे हो सकता है वो दुश्मन/ विरोधी भी मानें , इसलिए आप चुनाव के समय दिए जा रहे सब लोगों द्वारा दिए जा रहे भेंट को स्वीकार करते हुए भी वोट देते समय लाल बहादुर शास्त्री जी को याद रखिए , उनका चित्र मन मस्तिष्क में रखिए और उनके जैसे या लगभग उनके जैसे प्रत्याशी को ही वोट दीजिए ।
संग्रह ‘अनुशासित इंक़लाब ‘ में मेरी एक ग़ज़ल के ये शेर भी याद करिए –
हैं बचे इस रेत पर कुछ कदमों के निशान
अभी कोई बड़ी लहर यहाँ तक आई नहीं है।
उनके आने-जाने से बंद हो जाते हैं रास्ते
यह तो भाई कोई रहनुमाई ( लीडरशिप) नहीं है।
जो बाँट रहे हैं ले लो, मगर वोट सही ( शास्त्री जी जैसे ) प्रत्याशी को दो।
कर्तव्य है, रणनीति है, कोई बेवफाई नहीं है।
और वह आप के ही टैक्स और योजनाओं का पैसा है
जो लोगों ने दबा लिया था आप तक जा पाई नहीं है।
पिछले चुनावों में कहीं – कहीं हो चुकी है इसकी शुरुआत,
अब आगे के हर चुनाव में इसके न होने की वजह देती दिखाई नहीं है ।
आदर्श है कि कुछ न लें लेकिन तब वे मानेंगे विरोधी
सुरक्षा के लिए भी इसके सिवा रास्ता देता दिखायी नहीं है।
खर पतवार फ़सलों से भी बड़े हो गये हैं
व्यवस्था में अभी तक हुई ठीक से निराई नहीं है।
जागो! गणराज्य जागो !!
लोकतंत्र में आप ही , हम भारत के लोग ही मालिक है , भारत भाग्य विधाता हैं
यह है आलेख पढ़ने के बाद मेरे कुछ मित्रों ने ये ये विचार / शंका व्यक्त किया –
‘लिखा तो बहुत बढ़िया है पर मन में यह प्रश्न उठता है कि कहां से ढूंढें? जो लोग सामने आयेंगे वोट मांगने उन्ही में से तो ढूंढना पड़ेगा। शास्त्री जी जैसे लोग तो पैदा नहीं किये जा सकते हैं। जागो गणराज्य जागो की बात तो तो सही है पर गणराज्य के लोगों की मजबूरी को समझो।
यहां तो हर शाख़ पर उल्लू बैठा है।’
मैंने उन्हें स्पष्ट किया कि इसके लिए और जनतंत्र में जनता को अपने जन प्रतिनिधियों को अपने बीच से ख़ुद ढूँढना /तैयार करना पड़ेगा , न कि पार्टियों द्वारा खड़े कर दिए लोगों में से किसी एक को चुनने की कोई बाध्यता है !
इसमें शास्त्री जी हमारे सबसे शुद्धतम , महान , उपयुक्त , सर्व स्वीकार्य रोल मॉडल होंगे । सच है कि हूबहू उनके जैसा व्यक्तित्व तो शायद कोई विरला ही मिले लेकिन जिसमें उनके इन गुणों का कुछ अंश मिले / पता चले , और वह भी अपने अनुभव के आधार पर न की सुनी सुनाई बात के आधार पर, और यदि उन्हीं को प्रत्याशी / प्रतिनिधि बनाया जाए तभी देश का लोकतंत्र ख़ुशहाल हो पाएगा ।और देश में हज़ारों लोग ऐसे हैं जो शास्त्री जी के इन गुणों की कसौटी पर पचास प्रतिशत से अधिक खरे उतरेंगे । आप अनेक ऐसे लोगों से आग्रह / रिक्वेस्ट करेंगे तो शायद ही कुछ व्यक्ति तैयार हों क्योंकि जिन्हें कोई स्वार्थ नहीं है , जो केवल आपके बीच सेवा कर रहे हैं केवल सेवा के भाव से , उनमें प्रतिनिधि बनने कोई विशेष लालसा भी नहीं होगी ।और उन्हें सांसद या विधायक बनने के लिए आपको केवल तैयार ही नहीं करना पड़ेगा बल्कि जन सहयोग से ही चुनाव में विजयी बनाना होगा ।
और वही सच्चा लोकतंत्र होगा ,उसमें समय लगेगा लेकिन वह एक ना एक दिन होगा ज़रूर ,इसके लिए आमूलचूल परिवर्तन (paradigm shift) की आवश्यकता होगी ।
रही उस शेर की बात -‘ हर शाख़ पर उल्लू बैठा है‘ तो उसका हल तो यही है कि अब हमें शाखों पर नहीं ज़मीन पर देखना होगा ;यह राजतंत्र नहीं है क़ि जो ऊँचाई पर बैठा है वह व्यवस्था संभाले ।ये लोकतंत्र है ; ज़मीन से ,हमारे बीच से व्यवस्था को उगना है / निकलना है / पनपना है । अपने दृष्टिकोण को राजतांत्रिक से लोकतांत्रिक बनाना होगा । यही सबसे मुख्य काम है।
आशा और विश्वास है इन लोकतांत्रिक विचारों की गंगा को जन – जन तक पहुँचाने के लिए भगीरथ की भूमिका निभाएँगे, यथा सम्भव अधिकतम लोगों तक पहुँचाएँगे।
*गिरीश पाण्डे