पंडित अन्नू गौतम।
श्रीराधारानी की जन्मतिथि भाद्रमास के शुक्लपक्ष की अष्टमी हैं यह अष्टमी श्रीराधाअष्टमी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
इस राधाअष्टमी तिथि में चंद्रमा सोलह कलाओं से रमण अर्थात प्रकाशित होते हैं
पर अष्टमी में तो चंद्रमा की आठ कलाए होनी चाहिए सोलह क्यूँ राधाअष्टमी के दिन?
क्यूँकि श्रीकृष्ण की पूर्णतम कृपा से उस दिन श्रीराधाअष्टमी पर भी अष्ट कला प्रकाशित करने वाले चंद्रमा को भी अष्टमी पर सोलह कलाओं में पूर्णता प्राप्त करा दी, श्रीराधाअष्टमी पर चंद्रदेव सोलह कलाओं से विभूषित होते हैं श्रीराधारानी पंद्रह वर्ष किशोर अवस्था उज्ज्वलता से परिपूर्ण हैं ( श्रीश्रीराधाकृष्णगन्नोदेशदीपिका) श्रीश्रीरूप गोस्वामी पाद
श्रीमती राधिका का परिचय
🦋 श्रीराधा पंद्रह वर्षीय कैशोर अवस्थावाली हैं
🍀 इनके पिता श्री वृषभानु महाराज तथा माता श्रीकीर्तिदा जी हैं
🥀 अनंत लोकों को उज्ज्वल करनेवाली कोटि चन्द्र राशि समान श्रीराधा का प्राकट्य श्री रावल ग्राम में हुआ है
🔆 श्रीराधा की जन्मतिथि भाद्रमास शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि है।
अष्टमी होते हुए भी श्रीराधा अष्टमी की विशेष महिमा प्रकाश करते हुए इस तिथि में श्रीचन्द्रदेव सोलह कलाओं से प्रकाशित होते हैं
🌀 श्रीराधा के बड़े भाई का नाम श्रीदाम तथा छोटी बहन का नाम श्रीअनंगमन्जरीजी हैं
🌸 श्रीराधा मध्य नायिका हैं।तथा इनका स्वभाव धीर-अधीरा है
जिसका अर्थ है कि इनमें लज्जा तथा श्रीकृष्ण प्रेम दोनों का समान प्रकाश है।
ये अत्यंत कोमल स्वभावा हैं परंतु मान धारण करने पर लीला रस के लिए कठोर भी हो जाती हैं।
🍂 इनकी प्रधान सखियाँ हैं-श्रीललिता,श्रीविशाखा,श्री चम्पकलता,श्रीचित्रा,श्री तुंगविद्या,श्री इंदुलेखा,श्री रंगदेवी,श्री सुदेवी
🍃 इनकी प्रधान मंजरियां हैं-श्रीरूप मंजरीजी,श्रीराग मंजरीजी,श्री रति मंजरीजी,श्री लवंग मंजरीजी,श्री गुण मंजरीजी,श्री रासमन्जरीजी,श्री विलास मंजरीजी,श्री प्रेम मंजरीजी,श्री लीला मंजरीजी आदि
🍁 प्रत्येक सखी के यूथ में सैकड़ों सखियाँ मंजरियां सेवा करती हैं,श्रीश्री राधाकृष्ण का सुख विधान ही इनका प्रमुख कार्य है
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श्रीमती राधारानी
🔹 गाँव- बरसाना
🔹जन्म- भाद्र शुक्ल अष्टमी
🔹जन्मस्थान- रावल(नानी का घर)
🔹पिता- श्री वृषभानु जी
🔹माता- श्री कीर्तिदा
🔹 अंगकान्ति-तपे हुए सोने जैसी
🔹 भाव-स्वाधीनभर्तिका (जब नायक श्री कृष्ण श्री राधिका के अधीन हो जाते है
उनकी हर एक आज्ञा का पालन करते है)
🔹 स्वभाव-वामा मध्या (वामा जो मान धारण करने में सक्षम हो और मध्या यानि जो कभी कठोर वचन बोलती है और कभी प्रेम मयी वचन बोलती है)
🔹नायिका- धीरा धीर नायिका (जो नायिका मिश्रित वाक्यों से मृदु और कठोर वचनों से श्री कृष्ण की भर्त्सना करती है)
🔹वस्त्र- नीले रंग के वस्त्र
🔹प्रिय भोजन- कॄष्ण अधरामृत
(जो भी कृष्ण का उच्छिष्ट हो)
श्री राधारानी के केश बहुत ही सुंदर लंबे व घुंघराले है
श्री राधारानी के उपास्य देव सूर्य देव है
श्री राधारानी के तिलक का नाम स्मरयंत्र है
श्री राधारानी मदनाख़्या महाभावमयी है
श्री राधारानी के दादा जी का नाम महीभानु है और दादी का नाम सुखदा है
🟣 श्री राधारानी अपनी अष्टसखीयों ओर मंजरियों से अपने प्राणों से भी ज्यादा प्रेम करती है सभी सखीयाँ उन्ही की छाया है!
राधाष्टमी की बधाई-2-आठ दिवस की ही क्यों होती है ❓
श्रीस्वामनिजी(राधाजी) को श्रीकृष्ण की अभिन्न मुख्य शक्ति मानते है। जिनका सहज निवास श्रीकृष्ण के साथ सर्वत्र है।
राधाष्टमी की आठ दिवस की बधाई बैठती है. प्रतिदिन अष्ट सखियों का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है. इस भाव से आठ दिवस तक नित्य नूतन श्रृंगार, भोग और कीर्तनगान होता है.
प्रश्न यह है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई एक मास की बैठती है तो राधाष्टमी की बधाई आठ दिवस की ही क्यों होती है ❓
श्री राधिकाजी प्रभु श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी हैं. षोडश कलायुक्त प्रभु श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ जिसका अर्धांग श्रीराधा हैं. जिससे आठ दिवस की बधाई बैठती है. श्री राधिकाजी की सखियाँ भी आठ है, इस भावना से आठ दिवस की झांझ की बधाई बैठती है
अष्ट-सखियां और उनकी निकुञ्ज-सेवा
श्रीललिताजी
ये सखी सबसे चतुर और प्रियसखी हैं । ये राधारानी को तरह-तरह के ‘खेल’ खिलाती हैं । कभी-कभी नौका-विहार,वन-विहार भी कराती हैं । ये सखी ठाकुरजी को हर समय बीङा (पान) देती रहती हैं । ये ‘ऊँचा गांव’ मे रहती हैं । इनकी उम्र 14 साल 8 महीने 27दिन है !
श्रीविशाखाजी
ये गौरांगी हैं । ठाकुरजी को सुदंर-सुदंर चुटकुले सुनाकर हँसाती हैं । ये सखी ‘युगल-सरकार’ को सुगन्धित-द्रव्यों से बने चन्दन का लेप करती हैं । इनकी उम्र 14 साल 2 महीने 14 दिन है।
श्रीचम्पकलताजी
ये सखी ठाकुरजी को अत्यन्त प्रेम करती हैं । ये ‘करहला-गांव’ मे रहती हैं। इनका अंगवर्ण पुष्प-छटा की तरह है । ये ठाकुरजी की रसोई-सेवा करती हैं । इनकी उम्र 14 साल 2 महीने 13 दिन है।
श्रीचित्राजी
ये सखी राधारानी की अति-मनभावती सखी हैं । ये बरसाने मे ‘चिकसौली-गांव’ मे रहती हैं । जब ठाकुरजी सोकर उठते हैं, तब यह सखी फल,शर्बत,मेवा लेकर खड़ी रहती हैं । इनकी उम्र 14 साल 7 महीने 14 दिन है ।
श्रीतुगंविद्याजी
ये सखी चदंन की लकड़ी के साथ कपूर हो,ऐसे महकती हैं । ये युगलवर के दरबार मे नृत्य ,गायन करती हैं । ये वीणा बजाने मे चतुर हैं । ये माँ पार्वती का अवतार हैं । इनकी उम्र 14 साल 2 महीने 22 दिन है ।
श्रीइन्दुलेखाजी
ये सखी अत्यन्त सूझ-बुझ वाली हैं । ये ‘सुनहरा-गांव’ मे रहती हैं । ये किसी की भी हस्तरेखा देखकर बता सकती हैं कि उसका क्या भविष्य है । ये प्रेम कथाऐं सुनाती हैं । इनकी उम्र 14 साल 2 महीने 10 दिन है ।
श्रीरगंदेवीजी
ये बड़ी कोमल व सुदंर हैं। ये राधारानी के नयनों मे ‘काजल’ लगाती हैं और श्रृंगार करती हैं ।इनकी उम्र 14 साल 2 महीने 4 दिन की है ।
श्रीसुदेवीजी
ये सबसे छोटी सखी हैं। बड़ी चतुर और प्रियसखी हैं। ये भी ‘सुनहरा-गांव’ मे रहती हैं । ये ठाकुरजी को जल-पिलाने की सेवा करती हैं । इनकी उम्र 14 साल 2 महीने 4 दिन की है ।
पंडित अन्नू गौतम, तीर्थ पुरोहित वृंदावन क्षेत्र