समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23अगस्त। आतंकी हिंसा के कारण मजबूर होकर घाटी छोड़कर जाने वाले विस्थापित कश्मीरियों के लिए अब खुशखबरी मिलने वाली है। जी हां सरकार ने उनकी पुश्तैनी जायदाद अब उन्हें वापस दिलाने की कवायद शुरू कर दी है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इसके लिए नए सिरे से कोशिश शुरू कर दी है। इसके तहत एक शिकायत पोर्टल तैयार किया गया है। इस पर देश-विदेश में कहीं भी रहने वाले विस्थापित कश्मीरी अपनी जायदाद के कब्जे या जबरन सस्ते दामों में खरीद लिए जाने की शिकायत दर्ज करा सकेंगे। शिकायत की जांच के बाद एक तय समय सीमा के भीतर उनकी जायदाद वापस कराई जाएगी।
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकी धमकियों के कारण जब लाखों कश्मीरियों को घर-बार छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा तो उनकी संपत्तियों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सरकार की थी लेकिन सरकार इसमें विफल रही। उनके मकान, दुकान व अचल संपत्तियों पर कब्जा कर लिया गया। बाद में विस्थापितों को डरा-धमकाकर औने-पौने दामों में उन संपत्तियों को खरीद लिया गया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब सरकार ने विस्थापितों की ऐसी अचल संपत्तियों को वापस कराने का बीड़ा उठाया है।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके पहले 1997 में विस्थापितों की अचल संपत्ति की सुरक्षा और वापसी के लिए जम्मू-कश्मीर में कानून बनाया गया था लेकिन उसके तहत शिकायतकर्ता को खुद जिलाधिकारी के सामने जाकर शिकायत करनी होती थी और संपत्ति के जबरन कब्जे का सुबूत देकर उसे वापस पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। प्रशासन के समर्थन के अभाव में इस कानून से एक भी विस्थापित को उनकी जायदाद वापस नहीं दिलाई गई। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बार पोर्टल पर अपने नाम के साथ मौजूदा पता बताना होगा।
साथ ही यह भी बताना होगा कि उसकी पुश्तैनी संपत्ति किस गांव, जिले या तहसील में है। शिकायत दर्ज कराने के बाद संबंधित जिले का जिलाधिकारी खुद ईमेल या फोन पर शिकायतकर्ता से संपर्क करेगा और उन्हें वापस दिलाने के लिए कार्रवाई शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि बहुत सारे मामलों में संपत्ति पिता, दादा, परदादा या अन्य रिश्तेदार के नाम पर हो सकती है। पोर्टल में यह जानकारी देने की भी सुविधा दी गई है। निजी संपत्ति के साथ-साथ पोर्टल पर धार्मिक व सामुदायिक संपत्तियों के जबरन कब्जे की शिकायत भी कर सकते हैं।