उत्तराखंड में फिर सीएम बदलने के मिले संकेत, दिल्ली में सीएम तीरथ सिंह रावत के दौरें से सियासी हलचल तेज
स्निग्धा श्रीवास्तव
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2जुलाई। वैसे तो मुख्यमंत्री का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। लेकिन देश का उत्तराखंड राज्य ऐसा राज्य बन चुका है जिसनें मात्र 20 साल के इतिहास में 8 मुख्यमंत्री देखे है। जी हां चौकिए मत यह कथन विल्कुल ही सत्य है। मगर अब ऐसा लगता है कि इसी साल मार्च में राज्य के नौवें मुख्यमंत्री बने सीएम तीरथ सिहं रावत की भी विदाई का समय आ चुका है।
बता दें कि जबसे सीएम तीरथ सिंह रावत भाजपा आलाकमान ने दिल्ली बुलाया है तबसे ही अटकलें लगाई जा रही है कि भाजपा के शीर्ष अधिकारियों ने राज्य में सीएम को बदलने की तैयारी कर ली है। दरअसल उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत को अचानक दिल्ली तलब किया गया, जिसके बाद उन्होंने अपने सभी कार्यक्रम रद्द किए और सीधे दिल्ली पहुंच गए और घंटो इंतजार के बाद उनकी मुलाकात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से हुई। घंटो की बैठक में बातचीत क्या हुई, इसका तो अभी तक खुलासा नही हो पाया है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी आलाकमान मुख्यमंत्री बदलने को लेकर भी विचार कर रहा है। इस संभावना को बल तब मिला, जब तीरथ सिंह रावत गुरुवार को भी देहरादून नहीं लौटे।
लेकिन बताया जा रहा है कि, जिस तरह त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने से पहले भी दिल्ली तलब किया गया, ठीक उसी तरह तीरथ सिंह रावत से भी चर्चा हुई है। यानी उत्तराखंड में फरवरी 2022 तक होने वाले चुनावों से पहले एक और मुख्यमंत्री देखने को मिल सकता है।
सुत्रो की मानें तो भाजपा आलाकमान नही चाहता है कि अगले साल होनें वाले विधानसभा चुनाव सीएम तीऱथ सिंह की अगुवाई में हो। तीरथ सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल से उपचुनाव लड़ना चाह रहे हैं, लेकिन पार्टी ने उपचुनाव का फैसला किया तो अन्य राज्यों में भी खाली सीटों पर उपचुनाव करवाने पड़ेंगे। इसलिए पार्टी उपचुनाव नहीं, बल्कि अगले साल राज्य में होनें विधानसभा चुनाव पर फोकस कर रही है।
हालांकि एक साल में दो सीएम बदलना भाजपा के नुकसानदेह साबित हो सकता है, लेकिन इसके पीछे बीजेपी के पास एक वैधानिक कारण है। दरअसल तीरथ सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल से सांसद चुने गए थे, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर अचानक पार्टी ने उन्हें उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बना दिया और 10 मार्च को रावत ने उत्तराखंड के सीएम पद की शपथ ली। लेकिन नियम के मुताबिक सीएम बनाए जाने के अगले 6 महीने में मुख्यमंत्री को विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है। यानी तीरथ सिंह रावत को अगर सीएम पद पर बने रहना है तो विधायक का उपचुनाव लड़ना और जीतना होगा।
इसलिए पार्टी के पास यह एक बेहतरिन मौका माना जा रहा है कि भाजपा वर्तमान सीएम को बदलकर एक नया और बेहतर उम्मीदवार जनता के सामने पेश कर सकता है और इस पर कोई सवाल भी नही कर सकता।
संवैधानिक संकट ये है कि 9 सितंबर तक तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड विधानसभा का सदस्य बनना है, लेकिन कोरोना के चलते फिलहाल चुनाव आयोग ने उपचुनावों पर रोक लगा दी है। यानी तीरथ सिंह रावत का विधायक नामुमकिन है।
अब यह सीएम तीरथ सिंह की बदकिस्मती ही है कि मात्र 5-6 माह के सीएम बने रहने के बाद अब उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है।
अब अगर भाजपा उत्तराखंड में सीएम बदलने की तैयारी कर भी ली है तो सवाल यह भी उठता है कि प्रदेश का नया सीएम कौन होगा? या वो कौन सा चेहरा है जिसके नेतृत्व में भाजपा अगले साल का विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है? इसका जवाब तो सिर्फ पार्टी के पास ही है। ..