पंजाब में बिजली संकट से मचा कोहराम: एक तरफ शिअद-बसपा का राज्यभर में प्रदर्शन तो सिद्धू ने उठाए सवाल
समग्र समाचार सेवा
चंढीगढ़, 2जुलाई। पंजाब में बिजली संकट पर सियासत गर्मा गई है। राज्य में बिजली कट के कारण लोग परेशान हैं और इसके खिलाफ सियासी दल सड़कों पर उतर आए हैं। शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के नेता व कार्यकर्ता राज्यभर में प्रदर्शन कर रहे हैं और धरना दे रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल बठिंडा में धरना-प्रदर्शन में शामिल हुईं।
तो दूसरी तरफ विधायक नवजोत सिद्धू ने शुक्रवार को सिलसिलेवार ट्वीट कर सवाल उठाए। राज्य में भारी बिजली संकट को देखते हुए पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने औद्योगिक क्षेत्र के लिए आज और कल हफ़्ते में दो दिन की साप्ताहिक छुट्टी का ऐलान किया है, कई ज़िलों में 10 से 15 घंटों तक की बिजली कटौती हो रही है, इससे एक तरफ जनता परेशान है तो दूसरी तरफ किसान भी धान की रोपाई को लेकर चिंतित हैं।
बिजली संकट को देखते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सरकारी दफ़्तरों में काम का समय घटा दिया है। अब सरकारी दफ़्तरों में सुबह 8 बजे दोपहर 2 बजे तक ही काम होगा और इसके साथ ही दफ्तरों में एसी बंद रखे जाएंगे।
सिद्धू ने 9 ट्वीट कर सीएम अमरिंदर को सुझाव दिया और कहा है कि अगर हम सही दिशा में कार्य करते हैं…तो पंजाब में बिजली कटौती की कोई आवश्यकता नहीं है या मुख्यमंत्री को कार्यालय समय या एसी के उपयोग को विनियमित करने की आवश्यकता नहीं है।
पंजाब 4.54 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद रहा है। राष्ट्रीय औसत रु. 3.85 प्रति यूनिट और चंडीगढ़ 3.44 प्रति यूनिट रुपये का भुगतान कर रहा है। तीन निजी ताप संयंत्रों पर अति-निर्भरता के कारण पंजाब को अन्य राज्यों की तुलना में 5-8 रुपये प्रति यूनिट अधिक भुगतान करना पड़ता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बादल सरकार ने पंजाब में 3 निजी ताप विद्युत संयंत्रों के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए। पंजाब इन समझौतों में दोषपूर्ण क्लॉज के कारण 2020 तक पहले ही 5400 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है और आगे फिक्स चार्ज के रूप में 65,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। पंजाब नेशनल ग्रिड से काफी सस्ती दरों पर बिजली खरीद सकता है, लेकिन बादल के हस्ताक्षर वाले ये पीपीए पंजाब के जनहित के खिलाफ काम कर रहे हैं। कानूनी संरक्षण होने के कारण पंजाब इन पीपीए पर फिर से बातचीत नहीं कर सकता, लेकिन पंजाब विधानसभा किसी भी समय नेशनल पावर एक्सचेंज पर उपलब्ध कीमतों पर बिजली खरीद लागत के लिए नया कानून ला सकती है। कानून में संशोधन करने से ये समझौते खत्म हो जाएंगे।
शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर किसानों को मुफ्त बिजली की सुविधा से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि धान के सीजन जब किसानों को बिजली की सख्त जरूरत होती है तो उन्हें 8 घंटे बिजली की आपूर्ति नहीं की जा रही है।
उन्होंने कहा कि 8 घंटे निर्विघ्न बिजली की आपूर्ति देने का वादा किया गया था लेकिन 3 से 4 घंटे के बिजली कट लगाए जा रहे हैं। इस कारण किसानों को अपनी धान की फसल बचाने के लिए महंगे डीजल का उपयोग करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बिजली सप्लाई की कमी के बहाने बना रही है और जल्द ही बिजली सप्लाई नियमित करने के दावे कर रही है। सुखबीर बादल ने कहा कि मुख्यमंत्री गहरी नींद में सो रहे हैं।