समग्र समाचार सेवा
नई टिहरी, 31मई। भू-वैकुंठ बदरीनाथ धाम में प्राचीन पूजा-परम्पराओं से छेड़छाड़ की जा रही थी। धाम में भगवान की ब्रहम मुहूर्त में होने वाली पूजाओं के समय में परिवर्तन को लेकर तीर्थ पुरोहितों ने ऐतराज जताया था। जिस पर लोक आस्था को देखते हुए बदरीनाथ धाम में सोमवार से पुरानी परम्पराओं के अनुसार पूजा शुरू हो गई है।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार की ओर से चार धाम यात्रा पर रोक लगाई गई है। वहीं देवस्थानम बोर्ड की ओर से मंदिर संचालन के लिए कोविड नियमावली तैयार की गई। जिसके तहत बदरीनाथ धाम में मंदिर के खुलने का समय सुबह सात बजे से सायं सात बजे तक निर्धारित किया गया। ऐसे में यहां ब्रह्म मुहूर्त में होने वाली पूजाएं सात बजे के बाद शुरू हो रही थी। जिसे लेकर तीर्थ पुरोहितों की ओर से आपत्ति जताई गई थी। ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित संघ के अध्यक्ष उमेश सती ने ब्रहम मुहूर्त में होने वाली पूजा के समय में परिवर्तन किए जाने पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने सनातन परम्परा और पूजा-पद्धति से छेड़खानी को लोक आस्था के साथ कुठाराघात बताया। कहा कि सरकार की गाइड लाइन का पालन किया जाना आवश्यक है, लेकिन किसी की आस्था को चोट भी नहीं पहुंचनी चाहिए। मामला बढ़ता देख देवस्थानम बोर्ड ने सोमवार से बदरीनाथ धाम में प्राचीन परम्पराओं के साथ पूजा शुरू करवा दी है। इस मामले में बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि मंदिर में ब्रहम मुहूर्त में होने वाली पूजाएं सोमवार से विधिवत प्राचीन परम्परा के साथ शुरू हो गई हैं। इधर, उमेश सती बताते हैं कि 1918 में पूरे विश्व में फैली स्पैनिश फ्लू महामारी के दौरान भी बदरीनाथ धाम में पूजा परम्पराओं का बखूबी सनातन पद्धति से निर्वहन किया गया था। उस समय भी महामारी के दौरान श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित किया था। लेकिन धाम की परम्पराओं को जारी रखा गया था।
