बीत गए एक साल..शुरू हुई कालाबाजारी..फिर बढ़ाया उत्पादन और अब कहते है इस इंजेक्शन से कोई फायदा नही

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19मई। जी हां कोरोना काल को देश में आए एक साल से ज्यादा हो चुका है। इस दौरान सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाला इंजेक्शन रेमडेसिविर की जमकर कालाबाजारी भी शुरू हुई इतना ही नहीं सरकार नें इसका उत्पादन भी बढ़ाया और अब सरकार दावा कर रही है कि इससे कोई असर नहीं हो रहा है। इसे जल्द ही बैन करने की भी कवायद चल रही है। बता दें कि इससे पहले कोरोना संकमित का व्यक्ति का ईलाज करने के लिए प्लाज्मा थेरेपी को भी सरकार हटा चुकी है जो कि शुरूआती दिनों में ज्यादा कारगार माना जा रहा था।

सर गंगाराम अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस राणा ने बताया कि रेमडेसिविर को कोरोना के इलाज प्रोटोकॉल से हटाने पर विचार किया जा रहा है। क्योकिं कोरोना के इलाज में इस इंजेक्शन के असर के बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। बता दें कि ज्यादा डिमान्ड होने के कारण रेमडेसिविर अवैध तरीके से 50-50 हजार रुपये में भी बिक रही थी।
प्लाज्मा थेरेपी के बारे में डॉ. राणा का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी में हम कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्ति से एंटीबॉडी लेकर किसी दूसरे में ट्रांसफर करते हैं। लेकिन पिछले एक साल में हमने देखा कि प्लाज्मा देने के बाद भी कोरोना मरीज की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है। दूसरी बात यह है कि प्लाज्मा आसानी से उपलब्ध भी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत वैज्ञानिक आधार पर की गई थी लेकिन इसे अब प्रोटोकॉल से अलग तथ्यों के आधार पर किया गया है।

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