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फरीदाबाद की विभिन्न सोसाइटी में गुरुवार को तुलसी पूजन दिवस श्रद्धा और सामूहिक सहभागिता के साथ मनाया गया।
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विधिवत पूजा-अर्चना के बाद लोगों को तुलसी के पौधे वितरित किए गए, ताकि घर-घर तुलसी रोपण को बढ़ावा मिले।
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बच्चों को तुलसी पूजन का धार्मिक और औषधीय महत्व समझाया गया तथा 5 से 10 वर्ष आयु वर्ग के लिए खेल प्रतियोगिता आयोजित की गई।
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प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चों को उपहार देकर सम्मानित किया गया, जिससे उनमें उत्साह और भागीदारी बढ़ी।
समग्र समाचार सेवा
फरीदाबाद | 25 दिसंबर: फरीदाबाद में गुरुवार को अलग-अलग आवासीय सोसाइटी में तुलसी पूजन दिवस श्रद्धा और सामाजिक सहभागिता के साथ मनाया गया। सुबह से ही लोगों ने तुलसी माता की विधिवत पूजा-अर्चना की और कार्यक्रम के माध्यम से इसके धार्मिक, सांस्कृतिक और औषधीय महत्व पर चर्चा की गई। आयोजन के समापन पर करीब 50 लोगों को तुलसी के पौधे भेंट किए गए, ताकि वे अपने घरों में इन्हें लगाकर नियमित रूप से पूजन कर सकें।
परिवारों की सामूहिक भागीदारी
तुलसी पूजन कार्यक्रम में सोसाइटी के सभी वर्गों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। महिलाएं, पुरुष और बच्चे बड़ी संख्या में एकत्र हुए। आयोजकों के अनुसार, सामूहिक पूजा का उद्देश्य पारिवारिक एकता के साथ-साथ भारतीय परंपराओं से नई पीढ़ी को जोड़ना रहा।
बच्चों को दी गई सांस्कृतिक जानकारी
कार्यक्रम के दौरान बच्चों को तुलसी पूजन दिवस के महत्व के बारे में सरल शब्दों में बताया गया। उन्हें समझाया गया कि हिंदू मान्यताओं में तुलसी को विशेष स्थान प्राप्त है और नियमित पूजन से घर में सकारात्मक वातावरण बना रहता है। साथ ही तुलसी के औषधीय गुणों और दैनिक जीवन में इसके उपयोग पर भी प्रकाश डाला गया।
खेल प्रतियोगिता से रचनात्मक माहौल
छोटे बच्चों को डिजिटल उपकरणों से हटाकर रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ने के उद्देश्य से 5 से 10 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिता आयोजित की गई। बच्चों ने उत्साह के साथ प्रतियोगिता में भाग लिया। अच्छा प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को उपहार देकर प्रोत्साहित किया गया, जिससे बच्चों में खासा उत्साह देखा गया।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
कार्यक्रम के अंत में तुलसी के पौधों का वितरण किया गया। वक्ताओं ने कहा कि तुलसी केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य से भी जुड़ी हुई है। आयोजकों ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम हर वर्ष आयोजित किए जाते हैं, जिनमें आसपास की सोसाइटी के लोग भी शामिल होकर सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ाते हैं।
यह आयोजन आस्था, परंपरा और सामाजिक जिम्मेदारी का संतुलित उदाहरण बनकर सामने आया।