बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या पर भड़के कनाडा के सांसद
ईशनिंदा के आरोप में हुई मॉब लिंचिंग पर अंतरिम सरकार की जवाबदेही को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता
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मैमनसिंह में 25 वर्षीय हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा हत्या
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ईशनिंदा के आरोप में पीटकर मारने के बाद शव को आग लगाने का आरोप
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कनाडाई सांसद शुभ मजूमदार ने अंतरिम सरकार पर उठाए सवाल
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अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर वैश्विक चिंता
समग्र समाचार सेवा
ढाका | 24 दिसंबर: बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या की घटना ने देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी चिंता पैदा कर दी है। मैमनसिंह जिले के बालुका क्षेत्र में 18 दिसंबर को 25 वर्षीय दीपू चंद्र दास की ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। इस घटना को लेकर कनाडा की कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद शुभ मजूमदार ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख मोहम्मद यूनुस से सीधे सवाल पूछे हैं।
घटना का पूरा विवरण
पुलिस के अनुसार, दीपू चंद्र दास एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करता था। आरोप है कि फैक्ट्री के बाहर पहले उसे भीड़ ने बेरहमी से पीटा, इसके बाद उसे एक पेड़ से लटका दिया गया। कुछ समय बाद उसका शव ढाका-मैमनसिंह राजमार्ग के पास फेंक दिया गया और आग लगा दी गई। घटना से जुड़े कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें यह दावा किया गया है कि पुलिस ने उसे भीड़ के हवाले कर दिया था।
परिवार और प्रशासन पर सवाल
इस मामले में यह भी सामने आया है कि मृतक के परिजनों को हत्या की सूचना पुलिस द्वारा नहीं, बल्कि कथित तौर पर सामाजिक माध्यमों से मिली। इसे लेकर सरकारी तंत्र की भूमिका और संवेदनशीलता पर सवाल उठ रहे हैं।
कनाडाई सांसद की प्रतिक्रिया
कनाडा के सांसद शुभ मजूमदार ने इस घटना को “भयावह क्रूरता का चरम” बताते हुए कहा कि बांग्लादेश में नफरत और कट्टरपंथ की ताकतें नियंत्रण से बाहर होती जा रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि बांग्लादेश में वर्तमान में सत्ता की वास्तविक कमान किसके हाथ में है और इस तरह की हिंसा की जिम्मेदारी कौन लेगा।
अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा
शुभ मजूमदार के अनुसार, यह कोई अलग-थलग घटना नहीं है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से हिंदुओं, ईसाइयों, अहमदियों और बौद्धों सहित अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार के पास शांति बहाल करने के लिए पर्याप्त समय था, लेकिन सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में वह विफल रही है।