सई जाधव आईएमए से पास आउट होने वाली पहली महिला सैन्य अधिकारी बनीं
23 वर्षीय सई जाधव ने भारतीय मिलिट्री अकादमी से टेरिटोरियल आर्मी में कमीशन पाकर महिलाओं के लिए सेना में नए आयाम खोले
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टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया
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जाधव परिवार की चौथी पीढ़ी जो देश की सेवा कर रही है
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सई की सफलता देशभर के युवाओं और महिलाओं के लिए प्रेरणा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 17 दिसंबर: 23 वर्षीय सई जाधव ने भारतीय मिलिट्री अकादमी (आईएमए) से पास आउट होकर नया कीर्तिमान रच दिया है। 93 साल पुरानी आईएमए अकादमी में अब तक 67,000 से अधिक कैडेट पास आउट हो चुके हैं, लेकिन इनमें कोई महिला नहीं थी। सई ने यह कमी पूरी करते हुए महिलाओं के लिए सेना में नए रास्ते खोल दिए है।
सई अपने परिवार की चौथी पीढ़ी हैं जो सेना में शामिल होकर देश की सेवा करेंगी। उनके परदादा ब्रिटिश आर्मी में थे, दादा भारतीय सेना में और उनके पिता संदीप जाधव आज भी भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं। सई को टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन मिला है। इससे पहले महिलाएं टेरिटोरियल आर्मी में रही हैं, लेकिन किसी महिला ने आईएमए से होकर यह पद हासिल नहीं किया था।
माता पिता ने कंधे पर लगाया स्टार
पास आउट परेड का एक खास पल तब आया जब सई के माता-पिता ने उनके कंधों पर स्टार लगाया। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और देशभर के लोग इसे गर्व और प्रेरणा का पल बता रहे हैं। सई ने बताया कि उनका सफर आसान नहीं था। उन्हें विशेष अनुमति के जरिए आईएमए में प्रवेश मिला और छह महीने की कठिन ट्रेनिंग पूरी की। समान ड्रिल, समान अपेक्षाएं और समान दबाव में उन्होंने सभी मानकों को पूरा किया और अपनी जगह बनाई।
सई की पढ़ाई विभिन्न शहरों में हुई। उनकी स्कूलिंग बेलगाम से शुरू हुई और उन्होंने अलग-अलग राज्यों में पढ़ाई की। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा पास की और सर्विस सिलेक्शन बोर्ड तक पहुंचे। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें आईएमए का रास्ता दिया।
वर्तमान में, भारतीय सेना में एनडीए की पहली महिला बैच की आठ कैडेट ट्रेनिंग कर रही हैं। सई का कमीशन यह दर्शाता है कि बदलाव धीरे-धीरे, लेकिन लगातार हो रहे हैं। जून 2026 में सई फिर इतिहास का हिस्सा बनेंगी जब वह आईएमए के परेड ग्राउंड में चेवटोड बिल्डिंग के सामने मार्च करेंगी। यह सिर्फ परंपरा नहीं होगी, बल्कि यह साबित करेगी कि पुरानी संस्थाएं भी बदलाव के लिए तैयार हैं।