लोकसभा में कांग्रेस का व्हिप जारी, विदेश गए राहुल गांधी पर लागू होगा या नहीं
सत्र के आखिरी तीन दिनों में अहम और विवादित बिलों पर वोटिंग, राहुल गांधी की विदेश यात्रा को लेकर उठे सवाल
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कांग्रेस ने 19 दिसंबर तक सभी लोकसभा सांसदों को सदन में अनिवार्य रूप से मौजूद रहने का निर्देश दिया।
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विकसित भारत ग्राम रोजगार योजना और परमाणु ऊर्जा से जुड़े विधेयकों पर चर्चा और मतदान प्रस्तावित है।
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विदेश यात्रा पर गए राहुल गांधी को लेकर व्हिप उल्लंघन पर कार्रवाई को लेकर बहस तेज।
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कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पूर्व सूचना के कारण राहुल गांधी पर व्हिप लागू नहीं होगा।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 17 दिसंबर: संसद के मौजूदा सत्र के अंतिम तीन दिनों को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। लोकसभा में कुछ अहम और विवादित विधेयकों पर चर्चा और मतदान प्रस्तावित है। इसी को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी लोकसभा सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है। पार्टी ने निर्देश दिया है कि 19 दिसंबर तक सभी सांसद सदन में उपस्थित रहें और मतदान में भाग लें।
कांग्रेस के इस फैसले का सीधा मतलब यह है कि पार्टी लाइन से अलग रहने या अनुपस्थित रहने पर संबंधित सांसद के खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अगले तीन दिनों में जिन विधेयकों पर चर्चा होनी है, उनमें मनरेगा की जगह नई योजना लाने से जुड़ा ‘विकसित भारत ग्राम रोजगार योजना विधेयक’ सबसे अहम माना जा रहा है। इस बिल के नाम और प्रावधानों को लेकर मंगलवार को लोकसभा के भीतर और बाहर तीखी बहस और हंगामा देखने को मिला।
इसके अलावा परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश की अनुमति देने से जुड़े विधेयक पर भी चर्चा प्रस्तावित है, जिसे लेकर विपक्ष ने पहले ही आपत्तियां जता रखी हैं।
राहुल गांधी क्यों चर्चा में हैं
व्हिप जारी होने के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। चूंकि व्हिप सभी सांसदों पर लागू होता है, इसलिए कांग्रेस सांसद होने के नाते राहुल गांधी भी इसके दायरे में आते हैं। ऐसे में यह सवाल उठा कि विदेश यात्रा पर गए राहुल गांधी यदि कार्यवाही में शामिल नहीं होते हैं तो क्या इसे व्हिप उल्लंघन माना जाएगा।
कांग्रेस सूत्रों का क्या कहना है
कांग्रेस सूत्रों ने स्पष्ट किया कि राहुल गांधी व्हिप जारी होने से पहले ही विदेश जा चुके हैं। साथ ही, उनकी यात्रा की जानकारी पार्टी के संसदीय कार्यालय को पहले से दी गई थी। ऐसे मामलों में परंपरागत रूप से व्हिप लागू नहीं होता।
जानकारों का कहना है कि व्हिप की व्यवस्था में कुछ व्यावहारिक अपवाद भी होते हैं। गंभीर बीमारी या पूर्व सूचना के साथ अनुपस्थिति की स्थिति में सांसद को व्हिप उल्लंघन का दोषी नहीं माना जाता।
व्हिप उल्लंघन पर कार्रवाई का अधिकार
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई सांसद व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करनी है या नहीं, यह पूरी तरह पार्टी के अधिकार क्षेत्र में आता है। पार्टी तय करती है कि वह स्पीकर से शिकायत करेगी या नहीं।
संविधान में व्हिप की स्थिति
संविधान या संसद की नियमावली में व्हिप का सीधा उल्लेख नहीं है। इसे नियम से अधिक संसदीय परंपरा माना जाता है। हालांकि, संविधान की दसवीं अनुसूची यानी दल बदल कानून के तहत व्हिप का उल्लंघन गंभीर परिणाम ला सकता है, जिसमें सदस्यता समाप्त किए जाने तक का प्रावधान है।