‘खेला होबे’ से ‘मेसी मेस’ तक: फुटबॉल उत्सव बना राजनीतिक विवाद
बीजेपी और BJYM ने लगाया ‘मेसी घोटाले’ का आरोप, खेल मंत्री के इस्तीफे की मांग तेज
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कोलकाता के साल्ट लेक स्टेडियम में लियोनेल मेसी कार्यक्रम में भारी अव्यवस्था
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₹8,000 से ₹10,000 तक टिकट खरीदने वाले हजारों दर्शकों को प्रवेश नहीं
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बीजेपी और BJYM ने लगाया राजनीतिक पक्षपात और “मेसी घोटाले” का आरोप
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खेल मंत्री अरूप बिस्वास के इस्तीफे की मांग तेज
समग्र समाचार सेवा
कोलकाता | 15 दिसंबर: कोलकाता के फुटबॉल इतिहास में एक ऐतिहासिक पल के रूप में प्रचारित किया गया लियोनेल मेसी कार्यक्रम अब पश्चिम बंगाल के हालिया सार्वजनिक जीवन के सबसे शर्मनाक और विवादित अध्यायों में गिना जा रहा है। युवभारती क्रीड़ांगन (साल्ट लेक स्टेडियम) में आयोजित यह कार्यक्रम, जिसे “बंगाल की जनता के लिए फुटबॉल उत्सव” बताया गया था, अव्यवस्था, तोड़फोड़, गुस्से और गंभीर राजनीतिक आरोपों के बीच खत्म हुआ।
भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार पर प्रशासनिक विफलता और कथित भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इसे “कुप्रशासन का प्रतीक” बताते हुए कहा कि इस घटना ने बंगाल की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाया है। वहीं, भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) ने इसे “मेसी घोटाला” करार देते हुए राज्यभर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
ऊंचे वादे, महंगे टिकट
कोलकाता, जहां फुटबॉल सिर्फ खेल नहीं बल्कि एक भावना है, वहां इस कार्यक्रम को लेकर उत्साह चरम पर था। प्रशंसकों को भरोसा दिलाया गया कि वे विश्व फुटबॉल के सबसे बड़े सितारों में से एक लियोनेल मेसी को अपने शहर में देखने का दुर्लभ मौका पाएंगे।
इसके लिए ₹8,000 से ₹10,000 तक के महंगे टिकट बेचे गए। छात्र, नौकरीपेशा लोग और परिवारों ने बड़ी रकम चुकाकर यह मान लिया कि सरकार समर्थित कार्यक्रम पेशेवर तरीके से आयोजित होगा।
लेकिन स्टेडियम पहुंचने पर उन्हें बैरिकेड्स, बंद गेट, बदले गए प्रवेश मार्ग और पूरी तरह भ्रम की स्थिति का सामना करना पड़ा। हजारों टिकटधारक घंटों बाहर खड़े रहे, यह तक नहीं बताया गया कि कार्यक्रम होगा भी या नहीं।
राजनीतिक पक्षपात के आरोप
बीजेपी नेताओं का आरोप है कि आम दर्शकों को बाहर रोके जाने के दौरान तृणमूल कांग्रेस से जुड़े लोगों को स्टेडियम के अंदर बेरोकटोक प्रवेश दिया गया। आरोपों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी रिश्तेदारों, अभिषेक बनर्जी से जुड़े लोगों, खेल मंत्री अरूप बिस्वास और बिस्वास परिवार के सदस्यों के नाम लिए गए हैं।
अमित मालवीय ने कहा, “यह कोई गलतफहमी नहीं थी, बल्कि जानबूझकर किया गया बहिष्कार था। यह जनता के भरोसे और बंगाल की फुटबॉल संस्कृति के साथ धोखा है।”
अव्यवस्था, तोड़फोड़ और सुरक्षा संकट
जैसे-जैसे गुस्सा बढ़ता गया, हालात बिगड़ते चले गए। आयोजकों, सुरक्षा बलों और स्टेडियम प्रशासन के बीच तालमेल की भारी कमी दिखी। गेट अचानक बंद किए गए, कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए।
सूत्रों के मुताबिक, हालात और सुरक्षा चिंताओं के चलते लियोनेल मेसी कार्यक्रम में रुक नहीं सके। यह खबर सामने आते ही भीड़ का गुस्सा फूट पड़ा। स्टेडियम परिसर में कुर्सियां तोड़ी गईं, बैनर फाड़े गए और व्यापक अव्यवस्था फैल गई।
“भगवान की कृपा है कि कोई जान नहीं गई,” अमित मालवीय ने कहा, “राज्य सरकार की लापरवाही ने लोगों की जान को खतरे में डाल दिया था।”
जिम्मेदारी से बचने का आरोप
घटना के बाद BJYM ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस से जुड़े एक इवेंट मैनेजमेंट एजेंसी ने झूठे वादे कर महंगे टिकट बेचे। बीजेपी का दावा है कि अब एक आयोजक को बलि का बकरा बनाकर राजनीतिक नेतृत्व को बचाने की कोशिश की जा रही है।
BJYM नेता ने कहा, “बंगाल में अब घोटाले सेलिब्रिटी ब्रांडिंग में लपेटकर परोसे जा रहे हैं।”
इस्तीफे की मांग और छवि को नुकसान
बीजेपी ने सीधे तौर पर खेल मंत्री अरूप बिस्वास को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके तत्काल इस्तीफे की मांग की है। पार्टी ने उन पर घोर लापरवाही, सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग और जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है।
नेताओं ने कार्यक्रम से पहले लगाए गए 70 फीट ऊंचे लियोनेल मेसी के स्टैच्यू को भी राजनीतिक दिखावे का हिस्सा बताया।
आलोचकों का कहना है कि इस घटना से कोलकाता और बंगाल की वैश्विक छवि को गहरा नुकसान पहुंचा है। एक ऐसा शहर जो अपनी फुटबॉल विरासत के लिए जाना जाता है, आज अव्यवस्था और कथित अभिजात्य संस्कृति के लिए चर्चा में है।
“संदेशखाली से लेकर मेसी मेस तक, बंगाल बार-बार शर्मिंदा हो रहा है,” अमित मालवीय ने कहा। “माफी से नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती।”