राहुल के चार शब्दों से संसद में ‘वंदे मातरम्’ विवाद भड़का

वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने कहा— “प्रियंका का भाषण सुनो”; पीएम मोदी के 1937 वाले आरोप पर कांग्रेस ने कड़ा जवाब दिया।

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  • लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा के बीच नया राजनीतिक विवाद।
  • पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने 1937 में गीत के हिस्से हटाकर “विभाजन के बीज बोए।”
  • राहुल गांधी ने केवल चार शब्द कहे— “प्रियंका का भाषण सुनो”— जिन पर भाजपा ने आपत्ति जताई।
  • कांग्रेस ने टैगोर की सलाह का हवाला देकर भाजपा से माफी की मांग की, सदन में मर्यादा को लेकर भी बहस तेज।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8 दिसंबर: संसद में सोमवार को वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई विशेष चर्चा के दौरान राजनीतिक माहौल अचानक गरमा गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूरे विवाद पर केवल चार शब्द कहे “प्रियंका का भाषण सुनो”और इसी टिप्पणी ने सदन में नया राजनीतिक टकराव खड़ा कर दिया।

चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने अपने 1937 के फ़ैज़ाबाद अधिवेशन में वंदे मातरम् की महत्वपूर्ण पंक्तियों को हटाकर “राष्ट्रीय गीत को टुकड़ों में बांट दिया।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कदम ने “विभाजन के बीज बोए” और स्वतंत्रता संघर्ष के पवित्र ‘युद्धनाद’ को क्षति पहुँचाई।

कांग्रेस ने इस आरोप को ऐतिहासिक रूप से गलत बताते हुए कहा कि यह निर्णय गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की सलाह पर लिया गया था, जिससे विभिन्न आस्थाओं के लोगों को साथ जोड़ा जा सके। पार्टी ने भाजपा से माफी की मांग की और कहा कि प्रधानमंत्री “टैगोर व कांग्रेस कार्यसमिति का अपमान” कर रहे हैं।

इधर, हाल ही में राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी उस सलाह को लेकर भी विवाद बढ़ रहा है, जिसमें सांसदों को सदन के भीतर ‘वंदे मातरम्’ और ‘जय हिन्द’ जैसे नारे लगाने से परहेज करने को कहा गया था। विपक्ष का कहना है कि यह कदम सरकार की “राष्ट्रीय एकता के प्रतीकों से असहजता” को दर्शाता है।

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