लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ पर केंद्र की रणनीति और विपक्ष की चुनौती आमने–सामने

राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में लम्बी बहस, सत्ता और विपक्ष दोनों अपने दृष्टिकोण के साथ मैदान में

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
  • दोपहर बाद लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ विषय पर विस्तृत बहस शुरू, सबसे पहले प्रधानमंत्री बोलेंगे।
  • सरकार वर्षभर चलने वाले समारोहों को राजनीति और युवा जागरूकता से जोड़ने की कोशिश में।
  • विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के प्रमुख नेता देर रात तक चलने वाली चर्चा में हिस्सा लेंगे।
  • राज्यसभा में अगले दिन गृह मंत्री अमित शाह प्रारम्भ करेंगे बहस; चुनाव सुधारों पर भी विचार।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली|08 दिसंबर: देश आज ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ को एक नये अंदाज़ में याद करने जा रहा है। इस अवसर पर लोकसभा में दोपहर बाद एक विशेष चर्चा आयोजित की गई है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। दिन के बाकी समय में सत्ता और विपक्ष दोनों पक्षों के नेता इस विषय पर अपनी बात रखेंगे। अनुमान है कि यह चर्चा देर रात तक खिंच सकती है, क्योंकि इसके लिए लंबी अवधि तय की गई है।

सरकार की रणनीति क्या है?

इस बहस को केंद्र सरकार एक सामान्य संसदीय कार्यवाही की तरह नहीं बल्कि एक बड़े सांस्कृतिक अभियान का हिस्सा मान रही है।
सरकार की तैयारी में मुख्य बातें शामिल हैं—

  • राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ को पूरे वर्ष चिन्हित करने का कार्यक्रम
  • युवा पीढ़ी को गीत की उत्पत्ति और उसके राष्ट्रीय महत्व से जोड़ना
  • सदन में ऐसी बहस तैयार करना, जिसमें सांस्कृतिक प्रतीकों पर विपक्ष की भूमिका को भी सवालों के घेरे में लाया जा सके
  • सत्तापक्ष को चर्चा में पर्याप्त समय देकर अपने पक्ष को मजबूती से रखने की रणनीति

सरकार का मानना है कि यह विषय राष्ट्रीय भावना से सीधा जुड़ा है और इस पर विस्तृत संवाद जनता तक संदेश लेकर जाएगा।

बहस में क्या–क्या खुल सकता है?

संसदीय सूत्रों का अनुमान है कि आज की चर्चा कई कम-ज्ञात बातों को उजागर कर सकती है।
संभावित बिंदु ये हैं—

  • ‘वंदे मातरम्’ के लेखन और प्रकाशन से जुड़ी कम जानी घटनाएँ
  • किन परिस्थितियों में यह गीत स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बना
  • रचना को लेकर उस दौर की राजनीतिक बहसें
  • गीत के विरोध और समर्थन—दोनों पक्षों के ऐतिहासिक तर्क
  • विभिन्न प्रदेशों में इस गीत की भूमिका और प्रभाव

अगले दिन राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह इस विषय को आगे बढ़ाएँगे, और उसके बाद चुनाव सुधारों से जुड़े मुद्दों पर भी अलग चर्चा होगी।

वंदे मातरम्’ का अर्थ क्या है?

यह गीत मूलतः मातृभूमि के प्रति भक्ति, सम्मान और समर्पण का भाव प्रकट करता है।
सरल भाषा में इसका अर्थ है—
“हे भारत माता, मैं तुम्हें वंदन करता हूँ, तुम्हें प्रणाम करता हूँ।”

यह गीत केवल प्रशंसा का स्वर नहीं, बल्कि उस भावुक संबंध का प्रतीक है जो एक नागरिक अपनी भूमि से अनुभव करता है।

गीत का इतिहास — कैसे जन्मा यह स्वर

भारत के सांस्कृतिक इतिहास में यह गीत एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया।

  • उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने यह कविता रची
  • इसके प्रकाशित होते ही यह साहित्यिक दुनिया का चर्चित हिस्सा बन गया
  • बाद में आनंदमठ में शामिल होने पर यह रचना व्यापक जनसमूह तक पहुँची
  • समय के साथ यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्रीय एकता का नारा बन गया
  • विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे अपने संघर्ष की प्रेरणा के रूप में अपनाया

इस गीत का प्रभाव इतना व्यापक रहा कि यह भारतीय राष्ट्रीय चेतना का स्थायी प्रतीक बन गया।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.