भारत को तोड़ने के ख़्वाब, बांग्लादेशी रिटायर्ड जनरल का जहर

अब्दुल्लाहिल अमान आज़मी ने भारत पर लगाया दखल का आरोप, 1971 युद्ध अपराधी के बेटे ने फिर उगली नफरत

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समग्र समाचार सेवा
ढाका, 3 दिसंबर: बांग्लादेश के कुछ पूर्व सैन्य अधिकारी पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की तर्ज़ पर भारत के खिलाफ उग्र बयानबाज़ी कर रहे हैं। बांग्लादेश सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल्लाहिल अमान आज़मी ने एक नए वीडियो में दावा किया है कि “जब तक भारत टुकड़े-टुकड़े नहीं हो जाता, बांग्लादेश में स्थायी शांति संभव नहीं।”

भारत-विरोध का पुराना इतिहास

अमान आज़मी वही व्यक्ति हैं जिनके पिता गुलाम आज़म—जमात-ए-इस्लामी के चीफ—को 1971 के नरसंहार और स्वतंत्रता-समर्थक बंगालियों की हत्याओं का दोषी पाया गया था। उसी पृष्ठभूमि से आए आज़मी अक्सर भारत के खिलाफ कड़े और भड़काऊ बयान देते रहे हैं।

आरोप: मीडिया से लेकर व्यापार तक दखल

वीडियो में आज़मी ने भारतीय प्रभाव पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत बांग्लादेश की मीडिया, संस्कृति, बौद्धिक जगत और यहां तक कि पानी के बंटवारे तक में हस्तक्षेप करता है। उनके बयान में यह दावा भी शामिल था कि भारत व्यापारिक असमानता पैदा कर रहा है और सीमा पर बांग्लादेशियों के साथ अत्याचार हो रहे हैं।

आसिम मुनीर की रणनीति का साया

पाकिस्तान पहले से ही “ब्लीड इंडिया विद ए थाउज़ेंड कट्स” की रणनीति के तहत भारत को प्रॉक्सी युद्ध और अस्थिरता के जरिए कमजोर करने की कोशिश करता रहा है। अब बांग्लादेश के यह रिटायर्ड अधिकारी भी उसी तरह के सपने देखने लगे हैं—भारत के “टुकड़े-टुकड़े” होने तक शांति न आने की बात कहकर वह सीधे तौर पर पाकिस्तान की लाइन को ही दोहरा रहे हैं।

राष्ट्रगान बदलने की मांग से लेकर नया विवाद

सितंबर 2024 में भी आज़मी ने बांग्लादेश के राष्ट्रगान पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि यह “दो बंगालों के विलय” का प्रतीक है और इसे भारत ने थोपने की कोशिश की थी।
शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद आज़मी ने संविधान और राष्ट्रगान दोनों को बदलने की मांग उठा दी थी।

1996 और 1997 के समझौतों पर निशाना

अपने ताजा बयान में उन्होंने 1975 से 1996 के बीच पहाड़ी क्षेत्रों में अशांति के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही 1997 में अवामी लीग द्वारा किए गए शांति समझौते को “दिखावा” बताया।

इन बयानों ने बांग्लादेश के भीतर भी बहस छेड़ दी है कि रिटायर्ड सैन्य अधिकारी देश के राजनीतिक विमर्श को किस दिशा में ले जा रहे हैं।

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