मुख्य न्यायाधीश की “रेड कारपेट” टिप्पणी पर तृणमूल सांसद की कड़ी प्रतिक्रिया
CJI की टिप्पणी पर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी का विवादित बयान: “आजकल जज ज़्यादा बोलते हैं, टीआरपी के लिए टिप्पणियाँ करते हैं”
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 02 दिसम्बर: सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या शरणार्थियों से जुड़े एक संवेदनशील मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत की एक टिप्पणी ने नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। सुनवाई में सीजेआई ने याचिकाकर्ता से सवाल किया था,
“क्या हमें रोहिंग्या के लिए लाल कालीन बिछाना चाहिए? वे घुसपैठिए हैं, क्या हम उनका रेड कारपेट वेलकम करेंगे?”
इस टिप्पणी को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद कल्याण बनर्जी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए न्यायपालिका की मौजूदा प्रवृत्तियों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आजकल जज पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा बोलते हैं, और कई बार उनकी टिप्पणियाँ “टीआरपी बढ़ाने” जैसी लगती हैं।
कल्याण बनर्जी ने कहा,
“हम उनकी टिप्पणी का सीधा जवाब नहीं दे सकते, वे भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। लेकिन किसी भी जज को लूज़ कमेंट नहीं करना चाहिए। पहले जज बहुत कम बोलते थे। आज ज़्यादा बोलते हैं, जजमेंट कम देते हैं। यह न्यायपालिका की बड़ी समस्या बन गई है।”
उन्होंने यह भी कहा कि पहले भारतीय न्यायपालिका का चरित्र बिल्कुल अलग था,
“पहले जज लोग बहुत कम बोलते थे। फैसले सुनाते समय ही उनकी बात सुनाई देती थी। अब प्रवृत्ति बदल गई है। आजकल जज लोग टीआरपी बढ़ाने के लिए ऐसे कमेंट करते हैं, लेकिन फैसले समय पर नहीं देते।”
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या शरणार्थियों के भारत में प्रवेश, सुरक्षा और देश की सीमाओं की संवेदनशीलता पर बहस तेज है। केंद्र सरकार ने कई बार रोहिंग्या को सुरक्षा जोखिम बताते हुए इन्हें “घुसपैठिया” कहा है, जबकि कई याचिकाएँ इन्हें मानवीय आधार पर संरक्षण देने की मांग करती रही हैं।
CJI सूर्यकांत की ‘रेड कारपेट’ टिप्पणी इसी कानूनी और मानवीय बहस के बीच आई, जिस पर अब राजनीतिक मोर्चा भी खुल गया है। टीएमसी ने पहले भी केंद्र पर रोहिंग्या मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है, और अब उनके सांसद का ताजा बयान न्यायपालिका–राजनीति–प्रवासन के त्रिकोण को और गर्म कर रहा है।