सम्राट चौधरी को गृह विभाग: ‘ये CM का विशेषाधिकार’

बिहार में 20 साल बाद गृह विभाग भाजपा को मिला; उपेंद्र कुशवाहा ने जताई सहजता, बेटे के मंत्री बनने पर दी शुभकामनाएं

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  • गृह विभाग का बदलाव: 20 वर्षों में पहली बार बिहार का गृह विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बजाय उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (बीजेपी) को मिला।
  • कुशवाहा की प्रतिक्रिया: आरएलएम चीफ उपेंद्र कुशवाहा ने इस बदलाव को मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार बताया और इसमें ‘असहज’ जैसा कुछ नहीं होने की बात कही।
  • ‘वोट चोरी’ मुद्दा: कुशवाहा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को ‘फालतू’ और आधारहीन बताया।

समग्र समाचार सेवा
पटना, 24 नवंबर: बिहार की नई एनडीए सरकार में विभागों के बंटवारे के बाद, गृह विभाग को लेकर सबसे ज्यादा राजनीतिक चर्चा हो रही है। लगभग दो दशकों में पहली बार यह विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास न रहकर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को मिला है, जिन्होंने शनिवार (22 नवंबर) को पदभार भी ग्रहण कर लिया। इस बड़े बदलाव पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और इसे मुख्यमंत्री का ‘विशेषाधिकार’ बताया है।

गृह मंत्रालय पर सीएम का विशेषाधिकार

उपेंद्र कुशवाहा ने सम्राट चौधरी को गृह विभाग सौंपे जाने के निर्णय को सहजता से लिया है। उन्होंने पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, “ये तो मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। कौन विभाग अपने पास रखें और कौन विभाग किसको दें, इसमें तो कुछ असहज जैसा नहीं है।”

पिछले 20 वर्षों से, नीतीश कुमार ने गृह विभाग को अपने पास ही रखा था, जो बिहार में ‘सुशासन’ की उनकी छवि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस बार, यह विभाग सहयोगी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के युवा और आक्रामक नेता सम्राट चौधरी को सौंपे जाने से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का राज्य प्रशासन पर प्रभाव बढ़ेगा। कुशवाहा की टिप्पणी यह दर्शाती है कि गठबंधन के भीतर इस महत्वपूर्ण बदलाव को लेकर कोई बड़ी असहजता नहीं है, और इसे मुख्यमंत्री के प्रशासनिक निर्णय के रूप में स्वीकार किया गया है।

बेटे के मंत्री बनने पर व्यक्त की खुशी

विभाग बंटवारे के साथ ही उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक कुमार कुशवाहा भी चर्चा में हैं। दीपक कुशवाहा ने हाल ही में पटना के गांधी मैदान में मंत्री पद की शपथ ली, जबकि वह अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। इस बात को लेकर विपक्ष नई सरकार पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहा है।

अपने बेटे के मंत्री बनने पर, उपेंद्र कुशवाहा ने खुशी व्यक्त की और उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “मेरी ओर से शुभकामनाएं हैं। अच्छा करे, जनता की सेवा करे। जनता ने मौका दिया है सेवा का तो सेवा करनी चाहिए। मेरा विश्वास है कि पढ़ा लिखा युवा है, निश्चित रूप से अच्छा काम करके दिखाएगा।” यह स्पष्ट है कि कुशवाहा अपने बेटे के राजनीतिक करियर की शुरुआत को लेकर काफी सकारात्मक हैं और उन्हें जनता की सेवा के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

कांग्रेस के ‘वोट चोरी’ के आरोप को बताया ‘फालतू’

उपेंद्र कुशवाहा ने देश में चल रहे ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने इसे ‘फालतू’ का मुद्दा बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “एक फालतू का मुद्दा लाने की कोशिश की जा रही है। अब दुर्गति के बाद भी कांग्रेस पार्टी चीजों को नहीं समझ रही है।”

कुशवाहा ने सलाह दी कि कांग्रेस को जनता से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाना चाहिए, जिससे उन्हें भविष्य में लाभ हो सकता है। ‘वोट चोरी’ के आरोपों को निराधार बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में लोगों का वोट चोरी हुआ होता, तो जनता सड़कों पर उतर आती, लेकिन ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। उन्होंने कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि “बिना मतलब का मुद्दा बनाएंगे तो कभी मुद्दा नहीं बनेगा।”

कुल मिलाकर, उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार सरकार में हुए बड़े प्रशासनिक बदलावों पर सहजता व्यक्त की है, अपने बेटे के मंत्री बनने पर शुभकामनाएं दी हैं, और विपक्षी कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें जमीनी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी है।

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