ओवैसी का बड़ा बयान: ‘मुसलमानों को दबाओगे तो भारत को…’

एआईएमआईएम प्रमुख ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा- दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिशें नहीं होंगी सफल

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  • मुसलमानों के दमन पर चेतावनी: ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों को दबाने की कोशिशों से भारत का विकास बाधित होगा और उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने के प्रयास कभी सफल नहीं होंगे।
  • देशभक्ति और धर्म: उन्होंने ‘पैगंबर मुहम्मद’ का हवाला देते हुए कहा कि देश के प्रति वफादारी इस्लाम की प्रकृति है, और भारतीय संविधान उन्हें अपना धर्म मानने की स्वतंत्रता देता है।
  • बाबरी वर्डिक्ट का उल्लेख: ओवैसी ने कहा कि मस्जिद शहीद होने के बावजूद उन्होंने कोर्ट के फैसले के बाद कोई उग्र प्रतिक्रिया नहीं दी, जो उनकी वतन से मोहब्बत को दर्शाता है।

समग्र समाचार सेवा
हैदराबाद, 23 नवंबर: एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अल महद-अल-आली द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारत के विकास में मुसलमानों के योगदान पर विस्तार से बात की। अपने संबोधन के दौरान, ओवैसी ने एक बड़ा और तीखा बयान दिया, जिसमें उन्होंने भारतीय मुसलमानों के दमन के प्रयासों पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “अगर मुसलमानों को दबाओगे तो भारत को आगे कैसे बढ़ाओगे।” ओवैसी ने संविधान में निहित धर्म मानने की स्वतंत्रता पर जोर दिया और कहा कि मुसलमान भारत से प्रेम करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे अपने धर्म से दूर हो जाएं।

भारत के प्रति वफादारी और योगदान

अपने भाषण की शुरुआत में, असदुद्दीन ओवैसी ने स्पष्ट किया कि भारतीय मुसलमान अपने पूर्वजों की भूमि के प्रति वफादार हैं और हमेशा देश के विकास में योगदान देते रहे हैं। उन्होंने इस्लाम के सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि ‘देश के प्रति वफादारी इस्लाम की प्रकृति है।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि मुसलमानों ने अतीत में भी देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेंगे।

ओवैसी ने देश के विकास में योगदान देने वाले कई प्रमुख मुसलमानों के नाम गिनाए, जिनमें सैन्य नायक जैसे ब्रिगेडियर उस्मान और अब्दुल हमीद, वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम, सलीम अली, सैयद ज़ाहिर क़ासिम और उबैद सिद्दीकी, शिक्षाविद् मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और व्यवसायी अज़ीम प्रेमजी और यूसुफ अली शामिल थे। उन्होंने कोविड के दौरान वेंटिलेटर सुविधा प्रदान करने वाले ताजम्मुल और मुज़म्मिल तौफीक़ और हुसैन पठान जैसे आम लोगों के योगदान को भी याद किया।

दमन पर तीखी टिप्पणी

एआईएमआईएम प्रमुख ने मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिशों पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर मुसलमानों को दबाओगे तो भारत को आगे कैसे बढ़ाओगे।” उनका इशारा स्पष्ट रूप से उन राजनीतिक और सामाजिक प्रयासों की ओर था, जो कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के हितों और अधिकारों को सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं।

ओवैसी ने ऐतिहासिक अन्यायों और दंगों का उल्लेख किया, जिनमें 1962 में 8 लाख मुसलमानों को बांग्लादेश भेजे जाने और 1969 के असम दंगे (जिन्हें उन्होंने 2002 से भी बदतर बताया) शामिल हैं।

‘वतन से मोहब्बत’ का दिया प्रमाण

ओवैसी ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए मुसलमानों की देश के प्रति वफादारी का एक मजबूत प्रमाण दिया। उन्होंने कहा, “हमारी मस्जिद को शहीद कर दिया गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट कहता है कि किसी ने शहीद नहीं किया। हम वतन से मोहब्बत करते हैं इसीलिए कोर्ट के फैसले के बाद हमने जूता नहीं फेंका।” यह टिप्पणी दर्शाता है कि विपरीत परिस्थितियों और ऐतिहासिक अन्यायों के बावजूद मुस्लिम समुदाय ने शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखी।

उन्होंने एकजुट होने की अपील करते हुए यह भी कहा, “जो मदरसे का एक कमरा नहीं बना सके वो अमोनियम नाइट्रेट बना रहे हैं। हमें ऐसे लोगों के खिलाफ भी खड़ा होना पड़ेगा।” यह कथन समाज के उन तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है जो मुस्लिम समुदाय को बदनाम करते हैं और देश के विकास में बाधा डालते हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से एकजुट होने और देश के विकास के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।

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