चंडीगढ़ को लेकर संविधान संशोधन बिल पर राजनीतिक टकराव तेज
शीतकालीन सत्र में लाया जाएगा 131वां संविधान संशोधन; कांग्रेस, अकाली दल और AAP ने केंद्र पर चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने का आरोप लगाया
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केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में 10 नए विधेयक पेश करेगी
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चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 में शामिल करने का प्रस्ताव, विपक्ष ने जताई आपत्ति
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कांग्रेस, AAP और अकाली दल ने इसे पंजाब के साथ “अन्याय” बताया
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सुखबीर बादल ने कहा—यह पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला
समग्र समाचार सेवा
चंडीगढ़, 23 नवंबर:संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार 131वें संविधान संशोधन विधेयक को पेश करने जा रही है, जिसके तहत चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव है। इस कदम को लेकर पंजाब की कई राजनीतिक पार्टियों ने गंभीर आपत्ति जताई है और इसे “चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की कोशिश” करार दिया है।
अनुच्छेद 240 राष्ट्रपति को कुछ केंद्रशासित प्रदेशों, जैसे अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली, दमन-दीव और पुडुचेरी (जब उसकी विधानसभा भंग या निलंबित हो) के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है। अब चंडीगढ़ को भी इसी अनुच्छेद में शामिल करने का प्रस्ताव विपक्षी दलों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि केंद्र को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर चंडीगढ़ को पंजाब से अलग इकाई बनाने की कोशिश क्यों हो रही है। उनका दावा है कि इस प्रकार का कोई भी कदम पंजाब के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी इसे चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में बड़े बदलाव का संकेत बताया। पार्टी का कहना है कि बिल के पारित होने पर चंडीगढ़ में नए प्रशासनिक नियम लागू होंगे जो पंजाब के अधिकार क्षेत्र को कम कर सकते हैं।
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने एक्स पर लिखते हुए इसे “पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला” बताया। उनका कहना है कि यह विधेयक भारत सरकार द्वारा पंजाब को चंडीगढ़ हस्तांतरित करने के पुराने वादों से पीछे हटने जैसा है। बादल ने आरोप लगाया कि इससे पंजाब का बचे-खुचे प्रशासनिक और राजनीतिक नियंत्रण भी खत्म हो जाएगा और चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को स्थायी रूप से कमजोर कर देगा।
विपक्ष ने साफ कहा है कि इस विधेयक को स्वीकार नहीं किया जाएगा और संसद के भीतर व बाहर इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।