मदनी के बयान पर सियासी संग्राम तेज
अल-फलाह यूनिवर्सिटी मामले को लेकर मौलाना अरशद मदनी के आरोपों पर बीजेपी का पलटवार, सपा ने भी केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
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मदनी ने दावा किया कि भारत में मुसलमान वाइस चांसलर नहीं बन सकता।
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अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके संस्थापक पर कार्रवाई को सांप्रदायिक साज़िश बताया।
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बीजेपी नेता मोहसिन रज़ा ने कहा—“डर फैलाकर राजनीति करने की कोशिश।”
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सपा ने पीएम मोदी से मुस्लिम नेतृत्व पर उठते सवालों का जवाब मांग लिया।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 नवंबर:अल-फलाह यूनिवर्सिटी को लेकर शुरू हुए विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है, जब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने इसे मुसलमानों के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान बताया। मदनी ने कहा कि देश में ऐसा माहौल बना दिया गया है जैसे “इस्लाम और मुसलमानों को मिटाने की कोशिश की जा रही हो।” उन्होंने दावा किया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी को निशाने पर लेकर मुस्लिम नेतृत्व को कमजोर किया जा रहा है।
मदनी ने कहा कि “दुनिया समझ रही है कि मुसलमान अपाहिज और खत्म हो गया है। अल-फलाह में जो हो रहा है, वही तस्वीर दिखाता है। यूनिवर्सिटी के संस्थापक जेल में हैं और पता नहीं कितने साल और जेल में रहना पड़ेगा।” उन्होंने सवाल उठाया कि जबकि न्यूयॉर्क में “ममदानी” मेयर बन सकता है, लंदन में “खान” मेयर बन सकता है, लेकिन हिंदुस्तान में एक मुसलमान यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर भी नहीं बन सकता। मदनी के अनुसार यदि कोई मुसलमान वीसी बनने की कोशिश करता है तो उसका हाल “आज़म खान जैसा कर दिया जाता है।”
मदनी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार चाहती है कि मुसलमानों के “पैरों तले की जमीन खिसक जाए।” उन्होंने कहा कि घटनाओं की श्रृंखला यह संकेत दे रही है कि “सांप्रदायिक ताकतें इस्लाम और मुसलमानों दोनों को मिटाने पर तुली हुई हैं।”
उनके इन आरोपों पर बीजेपी ने जोरदार पलटवार किया। बीजेपी नेता मोहसिन रज़ा ने कहा कि मदनी और उनके जैसे लोग हमेशा “दोहरे मापदंड” अपनाते हैं और अपनी राजनीति को ज़िंदा रखने के लिए मुसलमानों में डर पैदा करते हैं। रज़ा ने कहा कि “ये लोग अपनी दुकान दूसरों को दोष देकर चलाते हैं। बीजेपी पर उंगली उठाना और खुद को पीड़ित दिखाना इनकी पुरानी रणनीति है। हमारी योजनाएँ पूरे देश के लिए हैं, न कि किसी एक समुदाय के लिए। इनकी राजनीति अब नहीं चल रही, इसलिए ये परेशान और बेचैन हैं।”
वहीं समाजवादी पार्टी ने इस विवाद में सरकार को कटघरे में खड़ा किया। सपा नेता घनश्याम तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए कहा कि “पीएम प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते, मिस्टर इंडिया की तरह गायब हो जाते हैं, और देश में मुस्लिम नेतृत्व भी मिस्टर इंडिया की तरह गायब हो गया है।” तिवारी ने कहा कि यदि ऐसे गंभीर बयान सामने आ रहे हैं, तो प्रधानमंत्री को अपने मुस्लिम मंत्रियों के साथ सामने आकर देश के सवालों का जवाब देना चाहिए।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी, उसके संस्थापक पर की जा रही कार्रवाई, और मदनी के विवादित बयान ने पूरे राजनीतिक माहौल में नई बहस छेड़ दी है, जहाँ एक ओर भाजपा इसे “डर की राजनीति” बता रही है, वहीं विपक्ष इसे केंद्र सरकार की जिम्मेदारी मानकर जवाब मांग रहा है।