नीतू नवगीत को मिला विश्व हिंदी सेवा सम्मान
अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में साहित्य व संस्कृति क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित
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विज्ञान भवन, नई दिल्ली में हुआ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन
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विश्व हिंदी परिषद ने प्रदान किया विश्व हिंदी सेवा सम्मान
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बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ. नीतू नवगीत को मिला सम्मान
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साहित्य, संस्कृति और स्वच्छता जागरूकता में उल्लेखनीय योगदान
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 नवंबर: विश्व हिंदी परिषद ने शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में “पंडित दीनदयाल उपाध्याय: राष्ट्रीयता और मानवता के प्रतीक” विषय पर एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में भारत और विदेशों से आए विद्वानों, सांस्कृतिक हस्तियों और हिंदी के प्रबल समर्थकों ने हिस्सा लिया।
समारोह के दौरान हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति के संवर्धन में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कई विशिष्ट व्यक्तित्वों को ग्लोबल हिंदी सेवा सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान पाने वालों में बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका और पटना नगर निगम की स्वच्छता जागरूकता ब्रांड एंबेसडर डॉ. नीतू कुमारी नवगीत भी शामिल थीं। उन्हें साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उनके लोकसंगीत संरक्षण, इसकी लोकप्रियता बढ़ाने और हिंदी को सांस्कृतिक पहचान के रूप में आगे बढ़ाने के निरंतर प्रयासों को विशेष रूप से रेखांकित किया गया।
यह सम्मेलन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (ICPR) के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे,
- आचार्य यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद, राष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिंदी परिषद
- देवी प्रसाद मिश्र, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
- डॉ. विपिन कुमार, राष्ट्रीय महासचिव
- प्रो. रामनारायण पटेल, सम्मेलन संयोजक
इस अवसर पर आयोजकों ने कहा कि यह सम्मान उन उल्लेखनीय व्यक्तियों को समर्पित है जिनके प्रयासों ने हिंदी को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया है और नई पीढ़ी को अपनी भाषा तथा सांस्कृतिक विरासत से जुड़े रहने की प्रेरणा दी है।
सम्मान प्राप्त करने पर डॉ. नवगीत ने कहा कि यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत सम्मान नहीं है, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक परंपरा और भारतीय लोकसंगीत की समृद्ध विरासत का मान-सम्मान भी है। उन्होंने अपने श्रोताओं के निरंतर समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और यह संकल्प दोहराया कि वह हिंदी और लोक संस्कृति को वैश्विक मंचों पर आगे ले जाने के लिए लगातार प्रयास करती रहेंगी।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन उन सत्रों के साथ हुआ जिनमें हिंदी साहित्य, सांस्कृतिक पहचान, भाषा के वैश्विक विस्तार और समकालीन समाज में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन की प्रासंगिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।