दिल्ली में ‘लव जिहाद’ के आरोपों पर खुलकर बोलेंगी महिलाएँ

दिल्ली में 30 नवंबर को होने वाले इस आयोजन में केरल की 12 और दिल्ली एनसीआर की 2 से 4 पीड़िताएँ प्रेम और धर्मांतरण के नाम पर हुए शोषण की अपनी आपबीती साझा करेंगी

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  • दिल्ली में 30 नवंबर को हिंदू संगठनों का बड़ा जागरूकता कार्यक्रम
  • केरल की 12 पीड़िताएँ और दिल्ली- एनसीआर की 2–4 महिलाएँ सुनाएँगी अपने अनुभव
  • महिला संगठनों—राष्‍ट्रीय सेविका समिति, दुर्गा वाहिनी, मातृ शक्ति—की सक्रिय भागीदारी
  • प्रेम, रिश्ते और धर्मांतरण के बीच कथित संगठित नेटवर्कों का होगा खुलासा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 नवंबर: दिल्ली में 30 नवम्बर को एक बड़ा जनजागरण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें केरल और दिल्ली–एनसीआर की वे महिलाएँ अपनी अनुभूतियाँ साझा करेंगी जो स्वयं को प्रेम के नाम पर छल, दबाव और मत परिवर्तन की कोशिशों का पीड़ित बताती हैं। यह आयोजन धर्म जागरण, हिन्दू जागरण तथा विश्व हिन्दू परिषद सहित अनेक हिन्दू संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। आयोजकों का कहना है कि कार्यक्रम का उद्देश्य युवतियों व परिवारों में सावधानी और जागरूकता बढ़ाना है।

इस मंच पर केरल की बारह महिलाएँ तथा दिल्ली–एनसीआर की दो से चार महिलाएँ अपनी जीवन कथाएँ सुनाएँगी। इन महिलाओं के अनुसार, उन्हें पहले प्रेम और भरोसे के सहारे एक रिश्ते में जोड़ने की कोशिश हुई, फिर भावनात्मक रूप से निर्भर बना कर परिवार से दूरी पैदा की गई और अंत में मत परिवर्तन का दबाव डाला गया। कार्यक्रम के माध्यम से वे उन तौर–तरीकों को सामने लाना चाहती हैं जिन्हें वे अपने साथ हुए छल का हिस्सा मानती हैं।

केरल: बहस की पृष्ठभूमि

पिछले वर्षों में केरल में प्रेम संबंधों के माध्यम से मत परिवर्तन के आरोपों पर अनेक बहसें उठती रही हैं। कई घटनाओं ने इस विषय को सार्वजनिक चर्चा का केंद्र बनाया है। इन्हीं घटनाओं में तेईस वर्षीय सोना एलधोस की आत्महत्या ने भारी चिंता उत्पन्न की थी। सोना ने अपने कथन में कहा था कि विवाह से पहले उस पर मत परिवर्तन का दबाव बनाया जा रहा था। इस घटना ने समाज में गहरी प्रतिक्रिया उत्पन्न की और यह विषय फिर से राष्ट्रीय विमर्श में आ गया।

दिल्ली का यह आयोजन इन्हीं बहसों और आरोपों को विस्तृत रूप में सामने रखने का प्रयास है, ताकि समाज इन अनुभवों को सुन सके और उनका मूल्यांकन कर सके।

दिल्ली आयोजन का उद्देश्य और व्यवस्था

आयोजकों का कहना है कि यह कार्यक्रम केवल व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करने का अवसर नहीं है, बल्कि युवा महिलाओं को सतर्क करने, पारिवारिक संवाद बढ़ाने और सामाजिक समझ को मजबूत करने का प्रयास भी है।

इस आयोजन में राष्‍ट्रीय सेविका समिति, दुर्गा वाहिनी और मातृ शक्ति जैसे संगठनों की महिला शाखाएँ भी उपस्थित रहेंगी। मंच पर आने वाली महिलाएँ बताएँगी कि उनके अनुसार,

  • उन्हें किस प्रकार परिचय व मित्रता के माध्यम से जोडा़ गया,
  • भावनाओं का उपयोग कर कैसे विश्वास अर्जित किया गया,
  • किस प्रकार उन्हें धीरे–धीरे अपने परिवार से दूर होने को प्रेरित किया गया,
  • और बाद में मत परिवर्तन के लिए मानसिक दबाव महसूस हुआ।

कुछ महिलाएँ उन समूहों व तरीकों का भी उल्लेख करेंगी जिन्हें वे इस प्रक्रिया के पीछे संगठित ढाँचा मानती हैं।

पीड़ित महिलाओं की पीड़ा, संघर्ष और सामाजिक प्रतिक्रिया

मंच पर आने वाली कई महिलाओं का कहना है कि इस पूरे अनुभव ने उन्हें मानसिक और सामाजिक स्तर पर गहरा असर दिया। वे बताएँगी कि,

  • इस दौर में उन्होंने किस प्रकार भय, तनाव और भ्रम का सामना किया,
  • परिवार और समाज में उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा,
  • और सत्य को सामने लाने तथा न्याय प्राप्त करने के प्रयास में किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ा।

आयोजकों का मानना है कि इन कथाओं के सार्वजनिक रूप से सामने आने से अन्य महिलाएँ भी साहस जुटाएँगी और समाज में इस विषय पर व्यापक संवाद शुरू होगा।

भारत में व्यापक सामाजिक संकेत

अंतरधार्मिक विवाह, परस्पर सम्मान, पारिवारिक संवाद, महिला सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसे विषय आज के भारतीय समाज में महत्वपूर्ण विमर्श का हिस्सा हैं। प्रेम और मत परिवर्तन से जुड़े कथित मामलों ने इस बहस को और गहरा किया है।

 

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