दिल्ली ब्लास्ट केस में इरफान का ‘जिहादी मॉडल’ उजागर

बातचीत, सोशल मीडिया और मस्जिद-इसी ट्रिपल टेस्ट से चुनता था भर्ती, पाकिस्तानी जैश हैंडलर से गहरा कनेक्शन उजागर

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली |22 नवंबर:दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट केस में गिरफ्तार किए गए डॉक्टर-आतंकियों की पूरी कहानी जिस व्यक्ति से जुड़कर सामने आ रही है, वह है मौलवी इरफान अहमद वागे। एनआईए ने उसे जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले की एक मस्जिद से हिरासत में लिया। जांच अधिकारियों के मुताबिक, इरफान ही वह कड़ी है जिसने शिक्षित युवाओं—खासकर डॉक्टरों—को आतंकवाद के रास्ते पर मोड़ा और एक सक्रिय मॉड्यूल खड़ा किया।

पूछताछ में इरफान ने माना कि वह किसी भी नए व्यक्ति को अपने नेटवर्क में जोड़ने से पहले तीन अलग-अलग चरणों में परखता था। यही उसके ‘जिहादी भर्ती मॉडल’ की रीढ़ था।

स्टेप-1: बातचीत से मानसिकता टटोलना

इरफान का पहला तरीका बेहद साधारण लेकिन असरदार था—सामान्य बातचीत।
वह सामने वाले से धर्म, समाज और विचारधारा पर चर्चा शुरू करता और उसकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर यह समझता कि उसकी सोच कितनी प्रभावित की जा सकती है।

डॉ.मुजम्मिल उसके इस फॉर्मूले का पहला बड़ा उदाहरण है।
मुज़म्मिल से मुलाकात अस्पताल में संयोग से हुई, लेकिन कुछ ही दिनों में इरफान ने उसे धार्मिक बहसों में उलझाया, फिर धीरे-धीरे उसके दिमाग में कट्टरपंथी विचार भरे।
देखते ही देखते, एक डॉक्टर इरफान के आतंकी नेटवर्क की मुख्य इकाई बन गया।

स्टेप-2: सोशल मीडिया पोस्ट्स की जांच

दूसरे चरण में इरफान सामने वाले की सोशल मीडिया गतिविधियों को बारीकी से पढ़ता था।
पोस्ट्स, लाइक्स, कमेंट्स—सबका विश्लेषण कर यह पता लगाता था कि व्यक्ति धर्म, राजनीति या समाज को लेकर किस मानसिक स्थिति में है।

अगर उसे कट्टरपंथ का झुकाव दिखाई देता, तो वह पहले धार्मिक सामग्री भेजता, फिर बातों-बातों में उसे अपनी विचारधारा की तरफ खींच लेता।

डॉ. अदील इसी डिजिटल प्रक्रिया का शिकार हुआ।
इरफान ने उसके पोस्ट देखे, संपर्क बढ़ाया और अंत में उसे भी इस मॉड्यूल में शामिल कर लिया।

स्टेप-3: मस्जिद में मौजूदगी से पहचान

तीसरा चरण था—मस्जिद में सक्रिय युवाओं पर नज़र रखना।
इरफान ऐसे लोगों को जल्दी निशाने पर लेता था जो मस्जिद में नियमित आते, धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेते और जिनको आसानी से प्रभावित किया जा सकता था।

डॉ. अदील से बातचीत के दौरान इरफान को जसीर वानी उर्फ दानिश के बारे में पता चला, जो मस्जिद में अधिक समय बिताता था।
कुछ ही मुलाकातों में इरफान ने उसे भी अपने नेटवर्क में जोड़ लिया।

पाकिस्तान कनेक्शन: जैश हैंडलर से सीधा संपर्क

एनआईए की जांच में एक और बड़ा खुलासा सामने आया—
मौलवी इरफान का सीधा संपर्क पाकिस्तान में बैठे जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर हंजुल्ला से था।

डिजिटल फुटप्रिंट्स में:

  • चैट्स
  • दिशा-निर्देश
  • और मॉड्यूल ऑपरेशन के सबूत
    मिले हैं, जो इरफान और पाकिस्तानी नेटवर्क के बीच गहरे लिंक की पुष्टि करते हैं।

इसी कनेक्शन के जरिए दो AK-47 राइफलें डॉक्टर मुज़म्मिल तक पहुंचाई गईं।
इनमें से:

  • एक राइफल उसके अस्पताल के लॉकर से
  • दूसरी शाहीना की कार से
    बरामद हुई।
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