अमेरिका को यहाँ होना चाहिए: G20 बहिष्कार पर बोला दक्षिण अफ्रीका
जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन से पहले दक्षिण अफ्रीका का दावा—US बदल रहा रुख; व्हाइट हाउस ने सख्त लहजे में खारिज किया।
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साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफ़ोसा ने कहा, अमेरिका G20 बहिष्कार पर पुनर्विचार कर रहा है।
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व्हाइट हाउस ने सख्त प्रतिक्रिया दी,ये फेक न्यूज है US किसी बातचीत में हिस्सा नहीं ले रहा।’
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आरोप, US ने SA पर दबाव बनाया कि वह G20 जॉइंट डिक्लेरेशन न जारी करे।
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दक्षिण अफ्रीका बोला, ‘हम डरेंगे नहीं, डिक्लेरेशन जरूर जारी होगा, US को होना चाहिए यहां।’
समग्र समाचार सेवा
जोहान्सबर्ग, 21 नवंबर: G20 शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तीखी बयानबाज़ी सामने आई है। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफ़ोसा ने दावा किया कि अमेरिका अपने G20 बहिष्कार के फैसले पर पुनर्विचार कर रहा है और किसी न किसी रूप में शिखर सम्मेलन में शामिल हो सकता है।
रामाफ़ोसा ने कहा, “बॉयकॉट राजनीति कभी काम नहीं करती। अंदर रहकर बातचीत करना हमेशा बेहतर होता है। हमें अमेरिका की ओर से अंतिम समय में एक सूचना मिली है, जिस पर बातचीत जारी है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रिटोरिया यह समझने की कोशिश कर रहा है कि यह “बदलाव वास्तव में क्या होगा” और व्यवहारिक रूप से इसे कैसे लागू किया जा सकता है।
व्हाइट हाउस ने आरोपों को ‘फेक न्यूज’ कहा
हालांकि वॉशिंगटन ने राष्ट्रपति रामाफ़ोसा के दावों को तुरंत खारिज कर दिया। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह “फेक न्यूज” है और अमेरिका G20 की किसी औपचारिक चर्चा में हिस्सा नहीं लेगा।
अधिकारी के अनुसार, सिर्फ कार्यवाहक राजदूत मार्क डी. डिलार्ड अध्यक्षता हस्तांतरण के समारोह में “औपचारिकता के लिए” मौजूद रहेंगे।
व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलाइन लेविट ने और भी सीधे शब्दों में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
“दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति आज अमेरिका और अमेरिकी राष्ट्रपति को लेकर अनावश्यक बातें कर रहे थे। यह भाषा स्वीकार नहीं है।”
उन्होंने दोहराया कि अमेरिकी प्रतिनिधि सिर्फ औपचारिक विदाई कार्यक्रम में शामिल होंगे, किसी बैठक में नहीं।
जॉइंट डिक्लेरेशन पर दबाव का आरोप
दक्षिण अफ्रीका ने यह भी आरोप लगाया है कि अमेरिका ने उसे G20 जॉइंट डिक्लेरेशन जारी न करने के लिए दबाव डाला, क्योंकि वॉशिंगटन का मानना था कि बिना US की सहमति किसी भी दस्तावेज़ पर सर्वसम्मति असंभव है।
रामाफ़ोसा ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा,
हम पर कोई दबाव काम नहीं करेगा। डिक्लेरेशन लगभग तैयार है, बस अंतिम औपचारिकताएँ बाकी हैं। हम न तो डरेंगे और न ही झुकेंगे।
अमेरिका के आरोप और दक्षिण अफ्रीका का रुख
अमेरिका ने पहले दक्षिण अफ्रीका पर श्वेत समुदाय के प्रति भेदभाव और श्वेत अफ्रीकानर किसानों पर हिंसा के आरोप लगाए थे, हालाँकि दक्षिण अफ्रीका ने इन दावों को हमेशा खारिज किया है।
प्रिटोरिया का कहना है कि G20 के एजेंडा पर अमेरिका की आपत्तियाँ भी उसी विवाद का हिस्सा हैं। US दूतावास ने हाल ही में एक औपचारिक नोट में कहा था कि “दक्षिण अफ्रीका का एजेंडा हमारे नीति-हितों के विपरीत है, इसलिए हम किसी दस्तावेज़ पर सर्वसम्मति का समर्थन नहीं कर सकते।”
G20 में सिर्फ एक देश गैर-मौजूद
दक्षिण अफ्रीका के G20 राजदूत जोलिसा माभोंगो ने स्थिति का सार बताते हुए कहा,
कमरे में सिर्फ एक देश नहीं है,और वह है अमेरिका। यह उनका अपना फैसला है।
यह पहली बार है जब कोई अफ्रीकी राष्ट्र G20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी कर रहा है। सम्मेलन का मुख्य एजेंडा—
- गरीब देशों के लिए कर्ज़ राहत
- न्यायपूर्ण ऊर्जा संक्रमण
- और महत्वपूर्ण खनिजों पर रणनीतिक सहयोग वैश्विक आर्थिक बहस के केंद्र में है।