ORS के नाम पर फर्जी ड्रिंक्स पर FSSAI की सख्ती
फलों के जूस और इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स को ORS बताकर बेचने पर लगेगी रोक, राज्यों को तुरंत छापेमारी और रिपोर्टिंग के निर्देश
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FSSAI ने ORS नाम पर बिक रहे फलों के जूस/इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स की बिक्री बंद करने का आदेश दिया।
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कहा, इन उत्पादों में WHO वाला असली ORS फॉर्मूला नहीं, न मेडिकल असर।
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राज्यों को ई-कॉमर्स और दुकानों पर तुरंत निरीक्षण व गलत उत्पाद हटाने के निर्देश।
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असली मेडिकल ORS पर रोक नहीं, केवल भ्रामक ब्रांडिंग पर कार्रवाई।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20 नवंबर:भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने ORS के नाम पर बेचे जा रहे फलों के जूस और इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए हैं। FSSAI का कहना है कि कई कंपनियां अपने पेय पदार्थों को असली मेडिकल ORS जैसी पैकेजिंग और नाम देकर उपभोक्ताओं को गुमराह कर रही हैं, जबकि इन उत्पादों में न तो WHO द्वारा मान्यता प्राप्त ORS फॉर्मूला होता है और न ही कोई चिकित्सीय प्रभाव।
प्राधिकरण ने साफ किया कि असली मेडिकल ORS (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) पर कोई रोक नहीं है, बल्कि समस्या उन उत्पादों की है जो ORS शब्द का दिखावटी उपयोग कर सामान्य ड्रिंक को दवा जैसा प्रस्तुत कर रहे हैं।
अपने आदेश में FSSAI ने राज्यों से कहा है कि वे दुकानों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध ऐसे सभी उत्पादों की तुरंत जांच करें, गलत लेबलिंग वाले पेय पदार्थों को बाज़ार से हटाएँ और संबंधित कंपनियों पर नियामकीय कार्रवाई करें। साथ ही कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट दिल्ली भेजने के निर्देश भी दिए गए हैं।
पिछला आदेश: ORS शब्द पर पूर्ण रोक
FSSAI ने अक्टूबर 2025 में जारी आदेश में पुराने दो दिशानिर्देश (14 जुलाई 2022 और 2 फरवरी 2024) रद्द कर दिए थे, जिनमें ORS शब्द को ब्रांड नाम में प्रीफिक्स या सफिक्स की अनुमति थी, बशर्ते उत्पाद पर साफ चेतावनी लिखी हो कि—
“यह उत्पाद WHO द्वारा अनुशंसित ORS फॉर्मूला नहीं है।”
नए नियमों में FSSAI ने स्पष्ट किया था कि किसी भी खाद्य उत्पाद—जैसे फलों से बने पेय, नॉन-कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, रेडी-टू-ड्रिंक बेवरेज आदि—में ORS शब्द का किसी भी रूप में उपयोग प्रतिबंधित है। यह उपभोक्ता भ्रम और FSSAI Act, 2006 की धारा 23 और 24 का उल्लंघन माना जाएगा।
इसके बावजूद बाज़ार में ऐसे उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध पाए गए, जिसके चलते अब FSSAI ने राज्यों को और अधिक कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया है।