दिल्ली धमाका: ‘मुस्लिम नेता’ कहे जाने पर भड़के खुर्शीद

पत्रकार के सवाल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने रोका; कहा- मैं नमाज नहीं पढ़ रहा, सिर्फ भारतवासी हूं।

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  • वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद हालिया दिल्ली बम धमाके पर पत्रकारों से बात करते हुए उस समय भड़क गए, जब उन्हें एक पत्रकार ने ‘मुस्लिम नेता’ कहकर संबोधित किया।
  • खुर्शीद ने पत्रकार को बीच में ही टोकते हुए नाराजगी जाहिर की और सवाल किया, “मैं तो आपसे नहीं पूछ रहा कि आप किस धर्म के पत्रकार हैं, तो आप मुझे मुस्लिम नेता क्यों बोल रहे हैं?”
  • उन्होंने साफ किया कि वह किसी धार्मिक पहचान के साथ नहीं, बल्कि एक भारतवासी के रूप में राष्ट्र के समक्ष मौजूद चुनौतियों के बारे में बात कर रहे हैं।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 नवंबर: हाल ही में दिल्ली के लाल किले के पास हुए बम विस्फोट की घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी तेज हो गई है। इसी क्रम में, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद से मीडिया ने इस मामले पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही। यह सवाल मुख्य रूप से उस वीडियो के संदर्भ में था, जिसमें आतंकी डॉक्टर उमर कथित तौर पर अपने कृत्य को सही ठहरा रहा था।

जब पत्रकार खुर्शीद से सवाल पूछने लगे, तो एक पत्रकार ने कहा, “आप एक बड़े मुस्लिम नेता हैं, इसलिए हम आपसे…।” पत्रकार अभी अपना सवाल पूरा कर भी नहीं पाए थे कि खुर्शीद ने उन्हें तुरंत रोक दिया।

‘मुस्लिम नेता’ कहे जाने पर जताई सख्त आपत्ति

खुर्शीद ने पत्रकार के संबोधन पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, “यार बात सुनो, मैं नमाज़ पढ़ रहा होऊंगा तो आप कहना कि मैं मुस्लिम नेता हूं। मैं आपके साथ खड़ा हूं तो जैसे आप हो, वैसे मैं हूं।”

उन्होंने आगे स्पष्ट किया, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप फलां मजहब के प्रेस के हो। तो आप मुझे क्यों कह रहे हो कि आप मुस्लिम नेता हो।” खुर्शीद ने इस बात पर जोर दिया कि पहचान की राजनीति से ऊपर उठकर बात की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि “हम लोग भारतवासी हैं और भारतवासी होने के नाते हमारी कुछ जिम्मेदारियां, चिंताएं और कष्ट हैं,” जिन्हें वह बिना किसी धार्मिक पहचान के सामने रख रहे हैं।

आतंकवाद पर सलमान खुर्शीद का रुख

खुर्शीद से जब ‘व्हाइट कॉलर आतंकवाद’ (शिक्षित लोगों का आतंकवाद की ओर रुझान) के बढ़ते चलन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि चाहे जो भी इस कृत्य में शामिल हो, इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि जो हो रहा है, वह देश के लिए सही नहीं है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सलाह दी कि दिल्ली धमाके का मामला बेहद गंभीर है और इस पर कोई भी राजनीतिक बयानबाजी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल वही बातें होनी चाहिए, जो देशहित में हों, और इस पर बेहद सूझबूझ, समझदारी और पूरी जानकारी के साथ ही चर्चा की जानी चाहिए।

पहचान की राजनीति पर सवाल

सलमान खुर्शीद का मीडिया पर भड़कना इस बात को उजागर करता है कि भारतीय राजनीति में नेताओं को उनके धर्म या जाति से जोड़कर देखे जाने की प्रवृत्ति किस कदर बढ़ चुकी है। खुर्शीद जैसे नेता, जो पहले भी अपनी विवादास्पद टिप्पणियों (जैसे, ‘हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठनों से’ या ‘कांग्रेस के हाथों पर मुसलमानों का खून’) के कारण सुर्खियों में रहे हैं, अक्सर मीडिया के ऐसे सवालों का सामना करते हैं। उनकी प्रतिक्रिया इस बात को दर्शाती है कि वह अपनी पहचान को केवल एक भारतीय नेता तक सीमित रखना चाहते हैं, न कि किसी विशेष धर्म के प्रतिनिधि के तौर पर।

यह पूरा घटनाक्रम, पत्रकारिता के सिद्धांतों और राजनीतिक संवाद की सीमाओं पर एक बड़ा सवालिया निशान लगाता है, जहाँ नेता और मीडिया दोनों को ही अपनी भूमिकाओं और संबोधनों की मर्यादा तय करनी होगी।

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