BMC चुनाव में MVA में फूट: कांग्रेस अकेले लड़ेगी
बिहार चुनाव में हार के बाद मुंबई कांग्रेस का बड़ा फैसला; उद्धव बोले- दोनों दल स्वतंत्र।
- महा विकास आघाड़ी (MVA) में बड़ी दरार आ गई है, क्योंकि मुंबई कांग्रेस ने आगामी बीएमसी (BMC) चुनाव सभी 227 सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान किया है।
- कांग्रेस के इस फैसले पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी भी कांग्रेस की तरह अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, जिससे गठबंधन में तनाव बढ़ गया है।
- कांग्रेस के इस रुख के पीछे उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे (MNS) के बीच बढ़ती नज़दीकी को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 17 नवंबर: महाराष्ट्र में बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना को चुनौती देने के लिए बने महा विकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन को बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथला ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि पार्टी बीएमसी चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी और सभी 227 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
कांग्रेस के इस कदम को उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एसपी) के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली करारी हार के ठीक बाद आया है, जिसने कांग्रेस के आत्मविश्वास को प्रभावित किया है। उद्धव गुट की प्रवक्ता किशोरी पेडणेकर ने भी इस बात की ओर इशारा किया कि बिहार के नतीजों ने कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लेने के लिए मजबूर किया होगा।
उद्धव का दो टूक जवाब: हम भी स्वतंत्र हैं
कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान के एक दिन बाद, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह कांग्रेस को गठबंधन में बनाए रखने के लिए अब ज्यादा प्रयास नहीं करेंगे।
ठाकरे ने पत्रकारों से कहा, “उनकी पार्टी (कांग्रेस) स्वतंत्र है और मेरी पार्टी (शिवसेना यूबीटी) भी स्वतंत्र है। उनकी पार्टी अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है, और मेरी पार्टी भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।” उद्धव ठाकरे का यह रुख महाविकास आघाड़ी में बढ़ते आंतरिक मतभेद को स्पष्ट करता है, खासकर बीएमसी जैसे प्रतिष्ठित और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण निकाय के चुनाव से पहले।
राज ठाकरे की नज़दीकी बनी बड़ी वजह
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे सबसे बड़ा कारण उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई, मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बीच बढ़ती नज़दीकी है। कांग्रेस पार्टी के एक धड़े को राज ठाकरे के साथ संभावित गठबंधन बिल्कुल पसंद नहीं है, क्योंकि वे मनसे के राजनीतिक रुख और विचारधारा को अपने धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ मानते हैं।
इसके अलावा, कांग्रेस नेताओं को लगता है कि बीएमसी चुनाव में गठबंधन करने से उनके अल्पसंख्यक वोटों का हस्तांतरण तो यूबीटी शिवसेना को हो जाता है, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) के मराठी वोट बैंक का उन्हें पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता है।
बिहार के जनादेश पर उद्धव ने उठाए सवाल
इसी दौरान, उद्धव ठाकरे ने बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिले विशाल जनादेश पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस नए गणित को समझना मुश्किल है, जहाँ तेजस्वी यादव की रैलियों में भारी भीड़ उमड़ती है, लेकिन उम्मीदवार जीत नहीं पाते। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि विपक्षी दलों द्वारा मतदाता सूची में अनियमितताओं को उजागर करने के बावजूद, चुनाव आयोग इन मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार नहीं है। उन्होंने बीजेपी पर क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया।
बीएमसी पर ढाई दशक तक राज करने वाली शिवसेना (यूबीटी) के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न है। कांग्रेस के इस फैसले से अब महायुति (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, एनसीपी-अजित पवार) को बड़ा फायदा होने की संभावना है, क्योंकि विपक्ष के वोट बंट जाएंगे।