उपराष्ट्रपति का संदेश: तकनीक मानवता की सेवा करे

'कोई भारतीय पीछे न छूटे', ITS की 60वीं वर्षगाँठ पर उपराष्ट्रपति ने 5G और 6G के भविष्य पर जोर दिया

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  • उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने इंडियन टेलीकम्युनिकेशंस सर्विस (ITS) की डायमंड जुबली (60वीं वर्षगाँठ) समारोह को संबोधित करते हुए प्रौद्योगिकी के समावेशी विकास पर जोर दिया।
  • उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का मुख्य उद्देश्य मानवता की सेवा करना होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई भी भारतीय डिजिटल विकास की दौड़ में पीछे न छूटे।
  • उन्होंने ITS अधिकारियों से 5G और 6G जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत के नेतृत्व को सुनिश्चित करने और टेक्नोलॉजी को जन-केंद्रित बनाए रखने का आह्वान किया।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15 नवंबर: उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में इंडियन टेलीकम्युनिकेशंस सर्विस (ITS) के हीरक जयंती समारोह को संबोधित किया। यह अवसर ITS की 1965 में स्थापना के 60 साल पूरे होने का प्रतीक है, जिसे भारत सरकार की टेलीकॉम और तकनीकी-प्रबंधकीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया गया था।

अपने संबोधन में, उपराष्ट्रपति ने भारत के संचार परिदृश्य में आए उल्लेखनीय परिवर्तन को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि एक समय था जब टेलीग्राम और दुर्लभ लैंडलाइन कनेक्शन का युग था, जबकि आज डिजिटल राजमार्ग शासन, उद्यमशीलता और दैनिक जीवन को शक्ति दे रहे हैं। उन्होंने ITS को एक ‘शांत शक्ति’ के रूप में वर्णित किया, जिसने छह दशकों में कनेक्टिविटी को मजबूत किया है, पहुँच को बढ़ाया है और करोड़ों भारतीयों के लिए अवसरों के नए द्वार खोले हैं।

मोदी के नेतृत्व में दूरसंचार क्रांति

उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के दूरसंचार क्षेत्र ने बुनियादी ढाँचे के उन्नयन, डिजिटल समावेशन और नवाचार से प्रेरित होकर तेजी से विस्तार किया है। उन्होंने BSNL के एकाधिकार के दिनों से लेकर आज के प्रतिस्पर्धी, प्रौद्योगिकी-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र तक के विकास को ITS की लोक कल्याण और उत्कृष्टता के प्रति स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया।

उपराष्ट्रपति ने उस दौर को याद किया जब टेलीफोन कनेक्शन लेने में लंबा इंतजार करना पड़ता था, जिसकी तुलना उन्होंने आज की मोबाइल क्रांति से की, जिसने संचार उपकरणों को हर नागरिक के हाथों में पहुँचा दिया है। उन्होंने ITS अधिकारियों को इस परिवर्तन के विश्वसनीय वास्तुकार के रूप में सराहा।

5G और 6G की चुनौती: जन-केंद्रित हो तकनीक

भविष्य की ओर देखते हुए, उपराष्ट्रपति ने ITS समुदाय से 5G और 6G सहित उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत के नेतृत्व को सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

राधाकृष्णन ने जोर देकर कहा कि तकनीक का केंद्रबिंदु समावेशिता रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भले ही देश टेलीकॉम नवाचार में वैश्विक मानक स्थापित करने के लिए आगे बढ़ रहा हो, लेकिन यह सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है कि “कोई भी भारतीय पीछे न छूटे।” उन्होंने ITS अधिकारियों को प्रोत्साहित किया कि वे अपनी विशेषज्ञता का उपयोग जन-केंद्रित समाधान विकसित करने के लिए करें, जो देश के सबसे दूरदराज के क्षेत्रों तक भी डिजिटल लाभ पहुँचाएँ। यह संदेश स्पष्ट करता है कि भारत की तकनीकी प्रगति का अंतिम लक्ष्य केवल नवाचार नहीं, बल्कि हर नागरिक का कल्याण और सशक्तिकरण है।

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