अडानी का ₹30,000 करोड़ निवेश: बदलेगा बिहार

भागलपुर पावर प्रोजेक्ट बिहार के औद्योगिक पिछड़ेपन को दूर करने और ऊर्जा संकट को खत्म करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम।

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  • अडाणी समूह (Adani Group) बिहार में 30,000 करोड़ रुपये का बड़ा निजी निवेश कर रहा है।
  • निर्माणाधीन भागलपुर (पीरपैंती) पावर प्रोजेक्ट राज्य के ऊर्जा अंतराल को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • यह निवेश दशकों बाद बिहार में बड़े औद्योगिक विकास को गति देगा, जिससे युवाओं का पलायन रोकने में मदद मिलेगी।

समग्र समाचार सेवा
पटना, 10 नवंबर: बिहार, जो आधी सदी से भी अधिक समय से भारत की औद्योगिक प्रगति के हाशिये पर रहा है, वहाँ अब एक बड़ा परिवर्तन आने वाला है। देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूहों में से एक, अडाणी ग्रुप, बिहार में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का महत्त्वपूर्ण निवेश कर रहा है। यह निवेश मुख्य रूप से भागलपुर (पीरपैंती) पावर प्रोजेक्ट को विकसित करने में किया जा रहा है, जिसे राज्य की तस्वीर बदलने वाला एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

यह पहली बार है जब कई दशकों बाद बिहार में इतना बड़ा निजी निवेश हो रहा है। औद्योगिक विकास के अभाव के कारण, बिहार का औद्योगिक परिदृश्य आजादी के बाद से ही हाशिये पर रहा है। विभाजन के बाद, जो औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुए थे, वे भी झारखंड राज्य में चले गए। अब यह प्रोजेक्ट बिहार को न केवल भारत के विकास ग्रिड से जोड़ने का अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि अंततः उसे औद्योगिक प्रगति में अपना हिस्सा हासिल करने में भी मदद करेगा।

⚡ बिजली संकट और औद्योगिक पिछड़ेपन की चुनौती

बिहार में औद्योगिक पिछड़ेपन के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वर्तमान में, बिहार का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग $776 है, जो देश के प्रमुख राज्यों में सबसे कम है। इसका सीधा संबंध राज्य की बिजली खपत से है:

प्रति व्यक्ति बिजली खपत: बिहार में यह केवल 317 किलोवाट घंटा (kWh) है।

तुलना: इसके विपरीत, गुजरात जैसे विकसित राज्य में प्रति व्यक्ति बिजली खपत 1,980 kWh है।

बिजली की कम खपत सीधे तौर पर औद्योगिक विकास की कमी को दर्शाती है। जहाँ उद्योग विकसित नहीं होते, वहाँ मानव क्षमताएं पलायन कर जाती हैं। आज बिहार से लगभग 3.4 करोड़ कामगार दूसरे राज्यों में आजीविका तलाशने के लिए पलायन करने को मजबूर हैं।

💡 ऊर्जा अंतराल और भविष्य की मांग

बिहार में हाल के वर्षों में बिजली की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है, लेकिन स्थापित उत्पादन क्षमता उस गति से नहीं बढ़ी है।

वर्तमान क्षमता: राज्य के पास लगभग 6,000 मेगावाट की स्थापित उत्पादन क्षमता है।

अधिकतम मांग: वित्त वर्ष 2025 में यह अधिकतम मांग 8,908 मेगावाट दर्ज की गई थी, जिसके कारण राज्य को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए राष्ट्रीय ग्रिड से बिजली आयात करनी पड़ती है।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) के अनुसार, वित्त वर्ष 2035 तक बिहार में बिजली की मांग लगभग दोगुनी होकर 17,097 मेगावाट होने का अनुमान है। अगर नए पावर प्रोजेक्ट्स नहीं आते हैं, तो आपूर्ति और मांग में यह अंतर खतरनाक रूप से बढ़ जाएगा, जो भविष्य के औद्योगिक विस्तार, रोजगार सृजन और समग्र विकास को सीमित कर देगा।

भागलपुर (पीरपैंती) पावर प्रोजेक्ट इस ऊर्जा मांग की महत्वपूर्ण कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है, जिससे उद्योगों को उभरने और युवाओं के लिए नए अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।

📜 भूमि आवंटन विवाद और प्रशासनिक स्पष्टीकरण

इस प्रोजेक्ट को लेकर हाल ही में भूमि आवंटन को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश की गई थी। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट में कोई भूमि हस्तांतरण (Land Transfer) शामिल नहीं है।

लीज पर भूमि: प्रोजेक्ट के लिए भूमि एक दशक पहले अधिग्रहित की गई थी। इसे बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2025 के तहत कंपनी को नाममात्र किराए पर पट्टे (Lease) पर दिया गया है।

सरकारी स्वामित्व: यह भूमि बिहार सरकार के पूर्ण स्वामित्व में बनी रहेगी। प्रोजेक्ट की अवधि समाप्त होने पर, यह जमीन स्वतः ही राज्य को वापस मिल जाएगी।

यह स्पष्टीकरण दर्शाता है कि निवेश के लिए दिया गया समर्थन राज्य के विकास के दीर्घकालिक हित में है और यह जमीन के निजीकरण का मामला नहीं है।

 

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