पूनम शर्मा
दिल्ली से लेकर कश्मीर तक ‘एक्शन का तूफान’
देश में एक बार फिर जाँच एजेंसियों की ताबड़तोड़ छापेमारी ने राजनीतिक हलकों में भूचाल ला दिया है। ईडी, एटीएस और एनआईए की संयुक्त टीमों ने हाल के दिनों में दिल्ली, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर में एक साथ कई ठिकानों पर एक्शन लिया है।
इन अभियानों का केंद्र रहा है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े संगठनों पर की गई कार्रवाई. ईडी के मुताबिक, पीएफआई की करीब ₹167 करोड़ से अधिक की संपत्तियाँ अटैच की गई हैं, जो कथित तौर पर गल्फ देशों से हवाला और चंदे के ज़रिए भारत में भेजी गई थी I
इन पैसों का इस्तेमाल देश के भीतर आतंकी गतिविधियों और सांप्रदायिक हिंसा फैलाने में किया गया। अब तक इस नेटवर्क से जुड़े 28 नेताओं की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि ₹100 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है।
बंगाल में ‘स्पेशल मैरिज एक्ट’ के बहाने घुसपैठ का नया खेल?
करीब-करीब इसी समय में ईडी की कार्रवाई के समानांतर पश्चिम बंगाल में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हो रहे अचानक रजिस्ट्रेशन ने भी राजनीतिक बवंडर खड़ा कर दिया है. सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में मुस्लिम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में इस कानून का दुरुपयोग कर वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के आरोप हैं ।
भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि 24 जून के बाद जारी सभी प्रमाणपत्रों की जाँच की जाए, क्योंकि कथित रूप से इन्हीं दस्तावेजों का इस्तेमाल घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता और वोटर पहचान देने में किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय के आदेश पर इमिग्रेशन ब्यूरो और केंद्रीय एजेंसियों की विशेष टीमें पिछले दो महीनों से बंगाल में तैनात हैं। उनका फोकस केवल इतना है कि कौन व्यक्ति कानूनी रूप से भारतीय नागरिक है और कौन नहीं।
ममता सरकार पर बढ़ता दबाव
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर विपक्ष ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने 5000 से अधिक लोकल टीमों को तैयार किया है, जो सीमावर्ती जिलों में फर्जी दस्तावेज़ तैयार करवाने में मदद कर रही हैं।
आरोप यह भी है कि पिछले चुनावों के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी राशन कार्ड, कास्ट सर्टिफिकेट और जन्म प्रमाणपत्र ‘द्वारे द्वारे सरकार’ अभियान के नाम पर जारी किए गए, जिससे वोटर लिस्ट का डेमोग्राफिक चेहरा बदल गया।
यही कारण है, माननीय राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कि कोविड काल में जनता के गुस्से को सामना कर रहीं ममता बनर्जी अचानक चुनावों में विशाल बहुमत से जीतने में सफल रहीं।
जम्मू-कश्मीर: आतंक वित्त पोषण पर कसा शिकंजा
दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान को तेज करते हुए एटीएस और एनआईए ने कुलगाम और गांदरबल जिलों में एक साथ 100 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की है।
सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि इन छापों के दौरान कई डिजिटल उपकरण, बैंक दस्तावेज़ और आतंकी फंडिंग से जुड़ी सामग्री जब्त की गई।
खास बात यह है कि यह जाँच उस समय हुई जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहे थे कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस नहीं दिया जा रहा। लेकिन सवाल यह है कि जब घाटी में अभी भी आतंकी नेटवर्क और हवाला चैन सक्रिय हैं, तो राज्य का दर्जा देने की बात कैसे संभव है?
बिहार चुनाव और विपक्ष की ‘चुप्पी’
दिलचस्प यह है कि इतनी बड़ी छापेमारियों और गिरफ्तारियों के बावजूद विपक्षी दल लगभग मौन हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विपक्ष इस समय बिहार चुनाव के कारण किसी भी एंटी-एजेंसी बयान से बचना चाहता है।
कांग्रेस और आरजेडी को डर है कि अगर उन्होंने ईडी या एटीएस की कार्रवाई पर सवाल उठाया, तो जनता इसे भ्रष्टाचार के समर्थन के रूप में देखेगी और इसका असर सीधे चुनावी नतीजों पर पड़ेगा।
कर्नाटक
इसके साथ ही कर्नाटक में कांग्रेस विधायक पर हाल में हुई ₹1.5 करोड़ की जब्ती ने भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यह पैसा चीन से जुड़े व्यापारिक सौदों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग से आया था — जिससे एक बार फिर कांग्रेस पर विदेशी फंडिंग के आरोप उभर आए हैं। जनता को भरोसा, ‘सिस्टम अब जाग रहा है’ इन सभी कार्रवाइयों ने एक व्यापक संदेश दिया है — कि अब जांच एजेंसियां किसी राजनीतिक दबाव में नहीं हैं। साथ ही जब जनता देख रही है कि हवाला कारोबारी, फर्जी दस्तावेज़ गिरोह और आतंकी फंडिंग नेटवर्क पर सर्जिकल स्ट्राइक हो रही है, तब उसमें यह विश्वास पैदा होता है कि “सिस्टम अब काम कर रहा है।” राजनीतिक गलियारों में भले ही यह बहस चलती रहे कि ईडी और एटीएस की कार्रवाई चुनावी रणनीति है या नहीं, लेकिन जनता के लिए यह संकेत साफ़ है कि देश में अब भ्रष्टाचार और आतंक फंडिंग पर कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
दिल्ली से लेकर बंगाल और कश्मीर तक जो ‘ऑपरेशन क्लीनअप’ चल रहा है, वह केवल एक जाँच नहीं, बल्कि राजनीतिक-सुरक्षा संतुलन की नई परिभाषा है। यह संदेश विपक्ष के लिए भी उतना ही स्पष्ट है — देश की सुरक्षा, पारदर्शिता और कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ एजेंसियां “बिना रोक-टोक” कार्रवाई करेंगी।